कल का दिन बहुत ही खास है क्योंकि कल उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi 2021) है। इस एकादशी में भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की खास पूजा अर्चना की जाती है। जानकारी के लिए बता दें कि मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को बेहद पवित्र माना गया है। इसे ही उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है।
कहा जाता है कि  उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) के दिन माता एकादशी ने राक्षस मुर का वध किया था। उत्पन्ना एकादशी व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। एकादशी देवी का जन्म भगवान श्री हरि विष्णु (Lord Vishnu) से हुआ था।
उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) टाइमिंग-

उत्पन्ना एकादशी प्रारम्भ - 04:13 ए एम, नवम्बर 30
उत्पन्ना एकादशी समाप्त - 02:13 ए एम, दिसम्बर 01
1 दिसम्बर को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 07:34 ए एम से 09:02 ए एम
पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय - 07:34 ए एम
पूजा विधि-

एकादशी के दिन ब्रह्मवेला (Brahmavela) में भगवान को पुष्प, जल, धूप, दीप, अक्षत से पूजन करना चाहिए। इस व्रत में केवल फलों का ही भोग लगाया जाता है। इस व्रत में दान करने से कई लाख गुना वृद्धि फल की प्राप्ति होती है। उत्पन्ना एकादशी पर धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह सामग्री से भगवान श्रीकृष्ण का पूजन तथा रात में दीपदान करना चाहिए।

- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
- भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
- अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
- भगवान की आरती करें।
- भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक - चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। - ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
- इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
- इस दिन भगवान विष्णु का अधिक से अधिक ध्यान करें।