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आज विश्वकर्मा जयंती है। आज के दिन इंजीनियरिंग और कला की देशभर में विश्वकर्मा पूजा की जाएगी। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को विश्वकर्मा पूजा का त्योहार मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक माना जाता है कि इस दिन ही ऋषि विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। आज के दिन इंजीनियरिंग संस्थानों व फैक्ट्रियों, कल-कारखानों व औजारों की पूजा की जाती है।
पूजा विधि-
आज के दिन ऑफिस, फैक्ट्री, वर्कशॉप, दुकान आदि के मालिक सुबह स्नान आदि करके भगवान की विश्वकर्मा की प्रतिमा व यंत्रों व औजारों की विधिपूर्वक पूजा करते हैं।
सबसे पहले पूजा शुरू करने से पहले पूजा स्थल पूजा चौकी पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित करें।
अब कलश को हल्दी और चावल के साथ रक्षासूत्र चढ़ाएं।
अब जिन चीजों की पूजा करनी है, उनपर हल्दी अक्षत और रोली लगाएं।
अब भगवान विश्वकर्मा को अक्षत, फूल, चंदन, धूप, अगरबत्ती, दही, रोली, सुपारी, रक्षा सूत्र, मिठाई, फल आदि अर्पित करें। धूप दीप से आरती करें।
ये सारी चीजें उन हथियारों पर भी चढ़ाएं जिनकी पूजा करनी है।
पूजा के अंत में भगवान विश्वकर्मा को प्रणाम करें और लोगों को प्रसाद बांटें।
इसके बाद पूजा करते समय इन 4 मंत्रों का जप करें-
'ॐ आधार शक्तपे नम:
ॐ कूमयि नम:',
'ॐ अनन्तम नम:',
'पृथिव्यै नम:' ।
विश्वकर्मा पूजा का समय-
17 सितंबर को सुबह छह बजकर 7 मिनट से 18 सितंबर सुबह तीन बजकर 36 मिनट तक योग रहेगा। 17 को राहुकाल प्रात: दस बजकर 30 मिनट से 12 बजे के बीच होने से इस समय पूजा निषिद्ध है।
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