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संकटों का नाश करने वाले गणेश संकष्टी चतुर्थी व्रत का पर्व रविवार को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सकट चौथ के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही यह व्रत पूरा माना जाता है। इस दिन तिलकूट का प्रसाद बनाकर भगवान गणेश को भोग लगाया जाता है। इस दिन तिल के लड्डू भी प्रसाद में बनाए जाते हैं।
भूल कर भी न करें ये काम
तुलसी न चढ़ाएं: सकट चौथ व्रत के दौरान भूलकर भी भगवान गणेश को तुलसी का भोग न चढ़ाएं। इससे आप पर उलटा असर पड़ सकता है। पूजा के दौरान व्रती महिलाएं उन्हें दुर्वा चढ़ाएं।
जमीन के अंदर उगने वाले खाद्य सामग्रियों का सेवन न करें: इस दिन भूल कर भी जमीन के अंदर उगने वाले खाद्य सामग्रियों का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे में मूली, प्याज, चुकंदर, गाजर जैसे सामग्रियों को न खाएं।
चांद का अर्घ्य दिए बिना न तोड़ें व्रत: सकट चौथ व्रत तब पूरा होता है जब चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। ऐसे में बिना अर्घ्य दिए व्रत तोड़ने की भूल न करें।
आज काले रंग के कपड़े ना पहनें: किसी भी पूजा में काले वस्त्र का पहनना अशुभ माना जाता है। ऐसे में आज भी पूजा के दौरान आप काले वस्त्र धारण करने से बचें। पूजा के दौरान पीले या सफेद वस्त्र धारण करें।
शरीर पर जल चढ़ाते समय छींटे न पड़ने दें: भगवान गणेश की पूजा के दौरान अर्घ्य देते समय आपको जल चढ़ाने का तरीका मालूम होना चाहिए। दरअसल, इस दौरान कोशिश करना चाहिए कि शरीर पर छींटे आपके पैर पर बिलकुल भी न पड़ें।
व्रत का महत्व
सकट चौथ व्रत रखने वालों के संतान दीर्घायु होते हैं।
संतान को लंबी उम्र की प्राप्ति होती है साथ ही साथ वे निरोग जीवन व्यतित करते हैं।
यही नहीं ग्रह-नक्षत्र मजबूत स्थिति में लाने के लिए भी यह व्रत जरूरी।
कुंडली के अशुभ प्रभावों को कम करता है ये व्रत
केतु के बुरे प्रभावों को भी इस व्रत से कम किया जा सकता है।
इस तरह से करें मंत्र का जाप
विधिवत तरीके से गणेश पूजा करने के बाद गणेश मंत्र 'ॐ गणेशाय नम:' अथवा 'ॐ गं गणपतये नम: का 108 बार अथवा एक माला करें।
गणेश भगवान को लगाएं भोग
श्री गणेश को फल, तिल से बनी वस्तुओं, लड्डू तथा मोदक का भोग लगाएं और प्रार्थना करें कि 'ॐ सिद्ध बुद्धि सहित महागणपति आपको नमस्कार है। नैवेद्य के रूप में मोदक व ऋतु फल आदि अर्पित है।'
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