आज रविवार है और आज का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है। साथ ही आज का दिन खास क्योंकि आज के दिन शिव की भी पूजा की जाएगी। आज प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) का बहुत अधिक महत्व होता है। ज्योत्योष के मुताबिक रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत (ravi pradosh fast) कहा जाता है। बता दें कि प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है और ये हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है।

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर (Lord Shankar) और माता पार्वती की विधि- विधान से पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) में प्रदोष काल के दौरान पूजा का विशेष महत्व होता है। प्रदोष व्रत करने से सभी तरह के दुख- दर्द दूर हो जाते हैं और जीवन सुखमय हो जाता है।।
पूजा विधि-

    सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
    स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
    घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
    अगर संभव है तो व्रत करें।
    भगवान भोलेनाथ (Lord Bholenath) का गंगा जल से अभिषेक करें।
    भगवान भोलेनाथ (Lord Bholenath) को पुष्प अर्पित करें।
    इस दिन भोलेनाथ (Lord Bholenath) के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
    भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
    भगवान शिव की आरती करें।
    इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

सामग्री-


    पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।