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पितृ पक्ष कल से आरंभ हो रहे हैं। इस दिन से पितृओं की आत्म शांति के लिए पूजा पाठ की जाती है। पितरों के निमित्त अर्पण, तर्पण और समर्पण का पितृ पक्ष किया जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि पूर्णिमा तिथि पर दिवंगत हुए लोगों का श्राद्ध 20 सितंबर को किया जाएगा। इस दिन वंशज श्रद्धा भाव से पुण्य आत्मा का श्राद्ध करके पूर्वजों से आशीष प्राप्त किया जाता है।
बता दें कि कोरोना के कारण जो लोग अपने पूर्वजों के पिंडदान, कर्मकांड के लिए प्रयाग नहीं पहुंच पाए थे वे भी इस बार संगम आएंगे। ऐसे लोगों ने एक सप्ताह पहले से अपने पुरोहितों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। तीर्थ पुरोहितों का मानना है कि कोरोना की दूसरी लहर ने जिस तरह कहर बरपाया, उसे देखते हुए इस बार संगम पर श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ सकती है।
पिंडदान की परंपरा
प्रयाग में 12 माधव होने के कारण पिंडदान का अधिक महत्व है। प्रयाग के प्रधान देवता माधव हैं। पिंडदान की परंपरा सिर्फ प्रयाग, काशी और गया में ही है। पितरों के श्राद्ध कर्म की शुरुआत प्रयाग के मुंडन संस्कार से शुरू होती है। संगम पर पिंडदान करने से भगवान विष्णु के साथ ही तीर्थराज प्रयाग में वास करने वाले तैंतीस करोड़ देवी-देवता भी पितरों को मोक्ष प्रदान करते हैं।
महालय का आरंभ
21 सितम्बर को सूर्योदय के साथ ही आश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा शुरू हो जाएगी। इसलिए पितृ पक्ष का आरम्भ 21 सितम्बर से होगा लेकिन पूर्णिमा का श्राद्ध भाद्र पद शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को होता है इसलिए महालय का आरंभ 20 सितंबर से होगा। पूर्वांचली ने बताया कि पितृ पक्ष में श्राद्ध तर्पण कर अपने पितरों के प्रति श्रद्धा निवेदन करना अनिवार्य है। इससे पितृगण प्रसन्न होकर शुभ फल प्रदान करते हैं।
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