इंसान अच्छे बुरे हर तरह के काम करता है। कई तरह के काम कर और सहूलियत में जी कर भी उसे सुकून नहीं मिलता है। जब वह ईश्वर का ध्यान करता है तो वह अलग ही दुनिया में रहता है। खामोशी से आंखों को बंद कर 10 मिनट के लिए ईश्वर का ध्यान करें उसकी दुनिया भ्रमण करें और शरीर में बह रहे खून की रफ्तार को आंकने की कोशिश करें।


आगे बात करें ईश्वर और सुकून और सुख की तो मोह माया में आनंद तो हैं लेकिन सच्चा आनंद और सुख नहीं है। मानवता असाधारण रूप से चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रही है। ऐसे समय में उदास और चिंतित महसूस करना स्वाभाविक है। लेकिन हमें इस कठिन समय में सकारात्मक दृष्टिकोण और आत्मविश्वास बनाए रखना चाहिए। किसी बात को लेकर चिंता करना कोई उपाय नहीं है कि हम अपने दुखों को दूर कर सकें। बल्कि, यह एक ऐसी चीज है, जो हमारे आत्मविश्वास को खत्म कर देगी।


चाहे हम हंसें या रोएं, दिन बीत जाएंगे। हर दूसरे फैसले की तरह खुशी भी एक फैसला है। संकल्प लें कि आप खुश रहेंगे, चाहे परिस्थितियां कुछ भी हों। साहसी बने रहने का निर्णय लें, चाहे परिस्थितियां कुछ भी हो। आप इसी मनोवृत्ति के साथ आगे बढ़ें और स्वस्थ और प्रसन्न रहें। जिनमें प्रभु के प्रति समर्पण भाव होता है, वे कैसी भी कठिन स्थितियां खुशी-खुशी बिता लेते हैं। वे ऊर्जाहीन नहीं होते, उनमें किसी भी स्थिति का सामना करने का साहस पैदा हो जाता है, क्योंकि वे प्रभु के आगे उनकी मर्जी के प्रति समर्पण करते हैं।