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मकर संक्रान्ति का त्योहार आने वाला है और यह सूर्य देव (Sun Dev) को समर्पित होती है। इस त्योहार में काले तिल के पकवान बनाए जाते हैं और सूर्यदेव की पूजा की जाती है। सूर्य सभी ग्रहों में से सबसे बड़ा ग्रह है और इसे ग्रहों के राजा भी कहते हैं। बता दें कि मकर संक्रान्ति सूर्य और शनिदेव (Shani Dev) की एक पौराणिक कथा है।
कथा-
सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव (Shani Dev)को पसंद नहीं करते थे। इसी कारण उन्होंने शनि को उनकी मां छाया से अलग कर दिया। माता और पुत्र को अलग करने के कारण सूर्य देव को कुष्ठ रोग का श्राप मिला। तब सूर्यदेव के दूसरे बेटे यमराज ने कठोर तप करके उन्हें कुष्ठ रोग से मुक्त कराया।
रोगमुक्त होने के बाद सूर्य देव ने क्रोध में आकर शनि देव और उनकी माता के घर ‘कुंभ’ जला दिया। सूर्य देव के इस कदम से शनि और छाया काफी आहत हुए। इसके बाद यमराज (Yamraj) ने सूर्य देव को समझाया। इसके बाद सूर्यदेव का क्रोध शांत हुआ और वे अपने पुत्र शनि और छाया से मिलने के लिए उनके घर पहुंचे।
वहां जाकर देखा तो सबकुछ जलकर खाक में तब्दील हो चुका था, बस काला तिल (black mole) जस का तस रखा हुआ था। सूर्य के घर पधारने पर शनि ने उनका स्वागत उसी काले तिल से किया। इसके बाद सूर्य ने उन्हें दूसरा घर ‘मकर’ प्रदान किया। इसके बाद सूर्यदेव ने शनि को कहा कि जब वे उनके नए घर मकर में आएंगे, तो उनका घर फिर से धन और धान्य से भर जाएगा।
साथ ही कहा कि मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) के दिन जो भी काले तिल और गुड़ से सूर्य की पूजा करेगा, उसके सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाएंगे। उसे सूर्य और शनि दोनों की कृपा प्राप्त होगी और शनि व सूर्य से जुड़े कष्ट दूर हो जाएंगे। इसलिए मकर संक्रान्ति पर काले तिल और गुड़ का खास महत्व माना गया है।
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