दुनिया में व्यक्ति की पहचान में उसके कपड़े और जूते होती है। इन्हें  देख कर लोग समझ जाते हैं कि किस तरह का व्यक्ति है। लोग हमेशा अपने अच्छे कपड़े और जूतों पर ही लोगों के सामने एक इमेज बनाने के लिए ठीक करता है। इस तरह से जूतों और चप्पलों का किस्मत से भी बहुत ही बढ़ा कनेक्शन हैं। शास्त्रों में मानव जीवन की धुरी हर वस्तु पर किसी ने किसी ग्रह से संबंध रखती है। इसी तरह से व्यक्ति की कुंडली का आठवां भाव पैरों के तलवों से संबंधित है।


आठवां भाव पैरों के जूते चप्पल का महत्व देते हैं। इसमें बताया जाता है कि जूते दुर्भाग्य का सूचक होते हैं और जूतों से जीवन में आर्थिक और कार्यक्षेत्र से संबंधित समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इस कारण से आठवां भाव के अनुसार चप्पल-जूतों को भी सही ढंग से पहना और रखना बताया गया है। शास्त्रों के मुताबिक कभी भी उपहार में मिले हुए जूते नहीं पहनने चाहिए क्योंकि शनिदेव कार्य मे बाधाएं डालते हैं। चुराए हुए जूते वैसे बहुत ही ज्यादा बुरे माने जाते हैं। चोरी कभी भी नहीं करनी चाहिए।


बता दें कि चोरी किए हुए जूते चप्पल पहनने से स्वास्थ्य और धन का विनाश का सूतक होता है। फटे जूते पहनकर नौकरी जाने से पहले को इंप्रेशन गलत जाता और शास्त्रों के अनुसार असफलता हाथ लगती है। जूतों में करल का भी काभी महत्व होता है जिसमें कार्यक्षेत्र में भूरे रंग के जूते पहनकर जाने से बाधाएं बहुत ही ज्यादा उत्पन्न होती हैं। जल से संबंधित और आयुर्वेदिक कार्यों से जुड़े लोगों को नीले रंग के जूते नहीं पहनने चाहिए। ज्योतिष और वास्तु में जूते-चप्पल (मृत चर्म) शनि राहु के कारक हैं।