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हिंदू पंचांग के अनुसार होली के ठीक पांच दिन बाद पंचमी तिथि को रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सभी देवी देवता पृथ्वी पर आकर होली खेलते हैं। इसे देवताओं की होली या देव होली के नाम से भी जाना जाता है। इसे हर साल होली के पांच दिन बाद मनाया जाता है। मान्यता है कि, इस दिन विधि विधान से श्रीकृष्ण और राधा जी की पूरा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा जीवन में आने वाले सभी कष्टों का निवारण होता है।
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मथुरा वृंदावन में इस दिन एक अलग ही नजारा देखने मिलता है। सभी मिलकर राधा -कृष्ण भगवान की पूजा करते हैं उन्हें गुलाल अर्पित करते हैं और एक दुसरे को (Rang Panchami 2023 Puja Vidhi) रंग लगाते हैं। भारत में इस पर्व की धूम राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्यप्रदेश में अधिक देखने को मिलता है। हिंदु पंचांग के अनुसार इस बार रंगपंचमी का पावन पर्व 12 मार्च ,2023, रविवार को है। ऐसे में इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं, तब मनाया जाएगा रंग पंचमी का पावन पर्व, क्या है इस दिन का शुभ मुहूर्त समय और इस दिन का महत्व व इतिहास।
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हिंदु पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रंगपंचमी का पावन पर्व मनाया (Rang Panchmi 2023 Shubh Muhurat) जाता है। इस रंग पंचमी का त्योहार 12 मार्च को मनाया जाएगा। पंचमी तिथि आज यानी 11 मार्च, शनिवार को रात 10 बजकर 05 मिनट से शुरू होकर कल यानी 12 मार्च, रविवार को रात 10 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी। यहां आप शुभ मुहूर्त जान सकते हैं।
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रंग पंचमी 2023 12 मार्च 2023, रविवार
पञ्चमी तिथि प्रारंभ 11 मार्च, 2023 को 10:05 PM से।
पञ्चमी तिथि समाप्ति 12 मार्च, रविवार को रात 10:01 बजे
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रंग पंचमी पूजा विधि
इस दिन प्रात काल उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
>> एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछा दें , चौकी पर राधा कृष्ण या विष्णु लक्ष्मी की मूर्ति रखें।
>> रोली, चंदन , धूप,दीप, अक्षत ,पंचामृत, तुलसी ,खीर से राधा कृष्ण की पूजा करें।
>> भगवान के चरणों में गुलाल अर्पित करें।
>> राधा कृष्ण की आरती करें।
>> घर में एक दूसरे को गुलाल लगाएं और हवा में गुलाल उड़ाए।
>> रंग पंचमी के दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करना शुभ माना जाता हैं उनकी कृपा से घर में संपन्नता आती है।
रंग पंचमी का महत्व
रंग पंचमी के दिन देवी देवताओं को गुलाल अर्पित करने से वह प्रसन्न होते हैं। मान्यता है कि इस दिन गुलाल से होली खेलने से पर्यावरण में सकारात्मकता आती है । पौराणिक कथा के अनुसार रंग पंचमी के दिन ही भगवान कृष्ण और राधा ने होली खेली थी और उनके साथ होली खेलने के लिए स्वर्ग से देवी देवता आए थे। तभी से पंचमी के दिन यह उत्सव मनाते हैं। मथुरा वृंदावन में इस दिन होली बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। दूर दूर से भक्त राधा कृष्ण को गुलाल चढ़ाने आते हैं। इस दिन सच्चे मन से राधा कृष्ण की पूजा करने से जीवनसाथी के साथ प्रेम संबंध में मधुरता आती है और घर में समृद्धि का वास होता है।
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