अमावस्या का सनातन धर्म में बड़ा महत्व होता है और अमावस्या है। आज का दिन बहुत ही धार्मिक दिन है क्योंकि आज के दिन शनि जयंती, वट सावित्री व्रत और सूर्यग्रहण लगने वाला है। बता दें कि इस तिथि को न्यायकारक ग्रह शनि देव का जन्म हुआ था। ग्रहों के राजा सूर्य के पुत्र शनि की दृष्टि ने सूर्य देव को ही रोगी बना दिया था, जिसे उन्होंने शिव की तपस्या कर दूर किया था।


सूर्यग्रहण यह भारत में दिखाई नहीं देगा। ज्योतिष के मुताबिक आज कल शनि वक्री होकर अपनी ही राशि मकर में विराजमान हैं। अमावस्या के दिन अपने पितरों को अर्पित किया गया भोग और तर्पण हमारे बहुत से संकटों को समाप्त कर जीवन पथ पर विकास का मार्ग उपलब्ध कराता है। जिनकी जन्मराशि मिथुन और तुला है, उन पर शनि की ढैया और जिनकी धनु, मकर और कुंभ राशि है, उन्हें शनि की साढ़ेसाती से जूझना पड़ रहा होगा।


इन जातकों को इस दिन पिप्पलाद मुनि की कथा और पद्मपुराण में वर्णित राजा दशरथ द्वारा रचित शनि स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए। अगर आपका मेष, वृष, कन्या, तुला, मकर और कुंभ लग्न है, तो हर हाल में इस दिन आपको शनि पूजा करनी चाहिए। पूजा करने से आजीविका क्षेत्र में उन्नति होगी। शनि देव की पूजा के बाद सरसों के तेल, काले तिल, काली उड़द की दाल, पादुकाओं आदि का दान अवश्य करना चाहिए। गणेश मंत्र और हनुमान चालीसा के नियमित सात बार के पाठ से शनि भगवान प्रसन्न रहते हैं।