आज शनिवार हैं और आज का दिन शनिदेव को समर्पित होता है। इस दिन शनि देव का पाठ किया जाता है, जिससे नकारात्मकता और बुरा प्रभाव से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है। शनिदेव न्याय के देवता कहे जाते हैं, इंसान कों उसके कर्मों से सजा देते हैं। इसी तरह से ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर शनि जयंती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान शनि का जन्म हुआ था।


शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या

बता दें कि शनि के अशुभ प्रभावों से व्यक्ति को जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या लगने पर शनि अशुभ फल देते हैं। किसी एक राशि पर शनि की साढ़ेसाती साढ़े-सात वर्षों तक और शनि की ढैय्या ढाई वर्षों तक रहती है। ग्रहों में शनि सबसे हल्की गति से चलते हैं। शनि एक राशि में ढाई वर्षों तक विराजमान रहते हैं। इस समय धनु, मकर, कुंभ पर शनि की साढ़ेसाती और मिथुन, तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है।


धनु, मकर, कुंभ और मिथुन राशिवाले जातकों को इस समय शनि को प्रसन्न करने के लिए उपाय करने चाहिए। शनि देव को प्रसन्न करने का सबसे आसान उपाय है दशरत कृत शनि स्तोत्र का पाठ,जो कि शनिवार के दिन खासतौर से किया जाता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार राजा दशरथ ने शनि देव को प्रसन्न करने के लिए इस स्तोत्र की रचना की थी। ऐसा माना जाता है इस स्तोत्र का पाठ करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं।