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शिव भक्तों को महाशिवरात्रि बेसब्रि इंतजार रहता है। इस साल 1 मार्च मंगलवार को पड़ रही है। सभी अपनी-अपनी कामनाओं के अनुसार महाशिवरात्रि पर अलग-अलग प्रकार के Shivling का अभिषेक और पूजन करता है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर Parthiv Shivling की पूजा करने पर शिव के साधक की सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती है।
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महाशिवरात्रि पर पार्थिव शिवलिंग की पूजा-
सनातन परंपरा में भगवान शिव की जितने भी प्रकार से पूजा की विधियां बताई गई हैं, उनमें पार्थिव पूजा का अत्यंधिक महत्व है। शिव पुराण में भगवान शिव की साधना-आराधना में पार्थिव (मिट्टी) शिवलिंग पूजन को सभी मनोकामनाओं को शीघ्र पूरा करने वाला बताया गया है। पार्थिव शिवलिंग की विधि-विधान से पूजा करने पर सुख-समृद्धि, धन-धान्य, आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
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मान्यता है कि भगवान शिव से जुड़े पावन दिन, तिथि, काल और रात्रि में पार्थिव पूजन करने पर शिव साधक को कई गुना फल प्राप्त होता है। मान्यता यह भी है कि पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से करोड़ों यज्ञों के समान फल मिलता है। ऐसे में भगवान शिव से जुड़े महापर्व यानि महाशिवरात्रि पार्थिव पूजन का फल और भी बढ़ जाता है।
रावण पर विजय पाने के लिए भगवान राम ने भी किया था पार्थिव पूजन
भगवान शिव के पार्थिव पूजन का महत्व इस तरह से भी समझा जा सकता है कि भगवान Lord Ram ने भी रावण पर विजय पाने से पहले समुद्र तट पर भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए विशेष रूप से पार्थिव शिवलिंग का पूजन किया था। मान्यता यह भी है कि नवग्रहों में से एक शनिदेव ने भी अपने पिता सूर्यदेव से ज्यादा शक्ति पाने के लिए काशी में पार्थिव शिवलिंग बनाकर विशेष पूजा की थी।
Parthiv Shivling की पूजा विधि
पार्थिव शिवलिंग हमेशा स्नान-ध्यान करने के बाद किसी पवित्र मिट्टी जैसे गंगा, यमुना या फिर गोदावरी आदि नदी के किनारे से प्राप्त की गई मिट्टी से बनाया जाता है. किसी पवित्र नदी की मिट्टी को लाने के बाद सबसे पहले उसे छान करके शुद्ध कर लें और उसके बाद उसमें गाय का गोबर, गुड़, मक्खन और भस्म मिलाकर शिवलिंग बनाएं।
Parthiv ling एक या दो तोला मिट्टी लेकर अंगूठे के बराबर हाथ से बनाया जाता है। पार्थिव शिवलिंग बनाते समय आपका मुह हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए। पार्थिव शिवलिंग बनाते समय भगवान शिव के मंत्र का जाप करते रहें। पार्थिव शिवलिंग तैयार हो जाने के बाद सबसे पहले गणपति की पूजा करें उसके बाद भगवान विष्णु, नवग्रह और माता पार्वती आदि का आह्वान करें। इसके बाद पार्थिव शिवलिंग की बेलपत्र, आक के फूल, धतूरा, बेल, कच्चे दूध आदि से पूजा करें।
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