मां कात्यायनी (Maa Katyayani) दुर्गा का 8वां रूप हैं। यहां एक ऐसा स्वरूप था जिसने महिषासुर को मारा था। बता दें कि मां कात्यायनी को  उमा, कात्यायनी, गौरी, काली, हेमावती व ईश्वरी के नाम से भी जाना जाता हैं। पौराणिक कथाओं के मुताबिक मां कात्यायनी (Maa Katyayani) ने सिंह पर आरूढ़ होकर महिषासुर का वध किया था। यही कारण है कि मां कात्यायनी को महिषासुर मर्दनी (Mahishasura Mardini) भी कहा जाता है।

बताया जाता है कि महर्षि कात्यायन (Maharishi Katyayan) ने मां भगवती की उपासना करते हुए वर्षों तक कठिन तपस्या की थी। उनकी इच्छा थी मां भगवती उनके घर पुत्री रूप में जन्म लें। मां ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली। फिर महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की। इसी कारण मां कात्यायनी (Maa Katyayani) कहलाईं। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने के लिए ब्रज की गोपियों ने मां की पूजा कालिंदी-यमुना तट पर की थी।

मां की उपासना से अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है। मां के पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है। गोधुली बेला में मां का ध्यान करना चाहिए। माता का स्वरूप बहुत करुणामयी है। विजयदशमी का पर्व माता कात्यायिनी (Maa Katyayani) द्वारा महिषासुर का वध करने के कारण मनाया जाता है। इस दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा की जाती है। माता के आशीर्वाद से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।


मां की आराधना से शिक्षा क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। मां (Maa Katyayani) की पूजा के लिए पीले या लाल रंग के वस्त्र धारण करें। माता के समक्ष पीले रंग के फूलों को अर्पित करें। धूप-दीप से मां की आरती करें। मां कात्यायनी की पूजा में मधु यानी शहद को अवश्य शामिल करें। मां को शहद का भोग लगाने से सुंदर रूप की प्राप्ति होती है।