हिंदू पंचांग के मुताबिक जब सूर्य देव मीन राशि में प्रवेश करते हैं तो खरमास शुरू हो जाता है। इस साल खरमास 16 मार्च से शुरू हो रहा है जो एक महीने तक प्रभावी रहेगा। इस अवधि के दौरान कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जा सकेंगे क्योंकि इस दौरान ग्रहों की स्थिति प्रतिकूल होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य शुभ मुहूर्तों को देखकर किया जाता है। खासतौर से गृह प्रवेश, विवाह व अन्य शुभ कार्यों में शुभ मुहूर्तों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। 16 मार्च से लेकर अगले एक महीने तक खरमास लगने के कारण शुभ कार्य नहीं हो पाएंगे। जानिए क्या होता है खरमास या मलमास और इस दौरान किन कार्यों को करने को मना किया जाता है।

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एक माह तक नहीं होंगे कोई मांगलिक कार्य

16 मार्च 2023 से हिंदू शादियों के मुहूर्त नहीं मिलेंगे। मकान की नींव रखने या संपत्ति खरीदने के लिए भी यह शुभ मुहूर्त नहीं है। खरमास के दौरान नया काम और व्यापार न करें। इस दौरान धार्मिक अनुष्ठान नहीं करने चाहिए। हालांकि, दैनिक अनुष्ठान किए जा सकते हैं। इसके साथ ही विवाह कार्यों के अलावा 20 अप्रैल के बाद गृह प्रवेश, मुंडन, बच्चों के कान छिदवाने की रस्म सहित अन्य शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे।

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ये दो संक्रांति मानी जाती है अशुभ

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक वर्ष में 12 संक्रांति होती हैं। जब सूर्य एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो उस समय को संक्रांति कहते हैं। जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है तो उसे धनु संक्रांति कहते हैं। जब यह मीन राशि में प्रवेश करता है तो इसे मीन संक्रांति कहते हैं। जब सूर्य इन दोनों राशियों में प्रवेश करता है तो उसे अशुभ काल माना जाता है।

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मलमास में क्या करें

खरमास में सूर्य देव की उपासना करनी चाहिए। इस दौरान रोजाना आदित्य ह्रदय स्त्रोत और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना फलदायी माना जाता है। मुमकिन हो तो खरमास के दौरान गेहूं, चावल, आम, जीरा, सुपारी, मूंग की दाल, जौ, तिल, सौंठ, सेंधा नमक का सेवन न करें। खरमास में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करनी चाहिए और उनसे जुड़ी वस्तुओं का दान करना चाहिए। मान्यता है ऐसा करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है।