हिन्दू धर्म शास्त्रों में इंसान के जीवन,कर्म और मौत के बारे में बताया गया है। ब्रह्माण्ड में तीन लोक माने जाते हैं स्वर्ग, नरक और धरती लोक। पृथ्वी में जन्म लेने वाले का अंत तय है। मृत्यु के पश्चात लोग अपने कर्मों के अनुसार दूसरे लोक में, स्वर्ग या नरक में जाते हैं। अच्छे कर्मों को करने वाला धार्मिक व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। वहीं बुरे कर्म करने वाले वाले व्यक्ति को नर्क लोक में भेजते हैं।


जनकारी के लिए बता दें कि मनुष्य की मृत्यु के बाद उसके पुत्र को गरुड़ पुराण सुनाया जाता है। नर्क में कर्मों के हिसाब से सजा दी जाती है, जिसका उल्लेख इस आलेख में दिया जा रहा है-

ललाभक्षम सजा-
जो इंसान पत्नी पर अत्याचार करता है। उन्हें उपयोग की समाग्री समझते हैं, शारीरिक सम्बन्ध बनाते समय अपना वीर्य उनके मुख में डालने के लिए मजबूर करता है, उन्हे ललाभक्षम नामक नर्क में भेजा जाता है। ललाभक्षम नर्क एक कुंआ है जो वीर्य से भरा हुआ है, पापी आत्माओं की सज़ा की अवधि तक वीर्य से भरे कुएं में डाल दिया जाता है।
सुकरमुखम नर्क-
लोगों पर अत्याचार करना, इंसान को कभी इंसान न समझना, ऐसे लोगों को मृत्यु के पश्चात सुकरमुखम नर्क में डाला जाता है और यहां इन्हें लाकर कुचल कुचलकर सजा दी जाती है।

कलासूत्रम नर्क-
जो व्यक्ति दूसरों का अपमान करना,  बड़ों का आदर सत्कार नहीं करते,  उन्हें कलासूत्रम नामक नर्क भेजा जाता है। कलासूत्रम में भीषण गर्मी होती है, जहां का तापमान असहनीय होता है और   यहां रहना दुराचार करने वाले लोगों को रखा जाता है।

अंधात्मत्स्त्म नर्क-

जो व्यक्ति शादी के पवित्र रिश्ते की इज़्ज़त नहीं करता और अपनी अर्धांग्नी की मान मर्यादा का ख्याल नहीं रखता है। इन लोगों को नर्क में कई तरह तरह की यातनाएं दी जाती हैं।