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होलिका दहन का त्योहार फाल्गुन पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसे छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व के अगले दिन रंगवाली होली खेली जाती है। ऐसी मान्यता है कि होलिका की अग्नि में आहुति देने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इतना ही नहीं होलिका दहन की राख (Holika Dahan Ki Rakh) को घर में रखना बेहद शुभ माना जाता है। जानिए इस साल कब है होलिका दहन और क्यों मनाया जाता है ये त्योहार।
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होलिका दहन शुभ मुहूर्त में करने का विधान है। भद्रा के समय होली नहीं जलाई जाती है। अच्छी बात ये है कि इस दिन भद्रा की अवधि सुबह ही खत्म हो जाएगी। जिससे आप बिना किसी सोच विचार के शाम में शुभ मुहूर्त में होलिका दहन कर सकेंगे।
होलिका दहन- 7 मार्च 2023, मंगलवार
होलिका दहन मुहूर्त- 7 मार्च को 06:24 PM से 08:51 PM
मुहूर्त अवधि- 02 घण्टे 27 मिनट्स
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रंगवाली होली- 8 मार्च 2023, बुधवार
भद्रा पूंछ- 7 मार्च को 12:43 AM से 02:01 AM
भद्रा मुख- 7 मार्च को 02:01 AM से 04:11 AM
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- 6 मार्च 2023 को 04:17 PM बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 7 मार्च 2023 को 06:09 PM बजे
होलिका दहन की कहानी
होलिका दहन का पौराणिक महत्व है। इस त्योहार को लेकर प्रहलाद, होलिका और हिरण्यकश्यप से जुड़ी एक प्रचलित कहानी है। जहां, प्रह्लाद एक राक्षस हिरण्यकश्यप का पुत्र था। यह भगवान विष्णु का परम भक्त था। वहीं, हिरण्यकश्यप भगवान नारायण का विरोधी था और अपने पुत्र प्रह्लाद को विष्णु की भक्ति करने से मना करता था। यहां तक कि हिरण्यकश्यप ने कई बार अपने पुत्र को मारने की भी कोशिशें की। लेकिन, भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद को एक आंच तक नहीं आई।
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हिरण्यकश्यप की एक बहन थी होलिका जिसे वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि जला नहीं सकती। उसने अपने भाई से कहा कि वह पुत्र प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि की चिता पर बैठेगी। इसके बाद वह प्रह्लाद को लेकर चिता पर बैठ भी गई। लेकिन, भगवान विष्णु के प्रताप से होलिका जल गई और प्रह्लाद का बाल भी बांका नहीं हुआ। कहते हैं जिस दिन होलिका अग्नि में भस्म हो गई थी उस दिन फाल्गुन पूर्णिमा थी। मान्यताओं अनुसार तभी से इस तिथि पर होलिका दहन करने की परंपरा चली आ रही है।
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