श्री कृष्ण जन्मोत्सव  शुक्रवार को ध्रुव और जायद योग में मनाएंगे। हर साल से अलग इस बार कृष्ण जन्माष्टमी गृहस्थ और साधु संत अलग-अलग दिन में नहीं बल्कि एक साथ शुक्रवार 19 अगस्त को मनाएंगे। एक ही दिन उपवास करेंगे और 20 अगस्त शनिवार को व्रत का प्रसाद ग्रहण कर उपवास समाप्त करेंगे।

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इस बार ग्रहों का ऐसा योग है कि गृहस्थ और साधु-संत एक साथ जन्माष्टमी का त्योहार मना रहे हैं।  भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण पक्ष अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था लेकिन 19 अगस्त (शुक्रवार) को दो साल बाद जन्माष्टमी कृत्तिका नक्षत्र में मनाया जा रहा है। रोहिणी नक्षत्र का संबंध जहां चंद्रमा से होता है वहीं कृतिका नक्षत्र का संबंध सूर्य से होता है। जो शासन सत्ता से जुड़ा होता है। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा गृहस्थ सुख-सौभाग्य, पुत्र व वंशवृद्धि के लिए करते हैं।

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 ग्रहों का ऐसा योग है कि गृहस्थ और साधु-संत एक साथ जन्माष्टमी का त्योहार मनाएंगे

 एक ही दिन उपवास करेंगे , 20 अगस्त को व्रत का प्रसाद ग्रहण कर उपवास समाप्त करेंगे