माघ गुप्त नवरात्रि 21 फरवरी समाप्त हो जाएंगे। हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक गुप्त नवरात्र साल में दो बार आते हैं। जैसे कि जानते हैं कि गुप्त नवरात्रि मुख्य रूप से साधुओं, तांत्रिकों द्वारा मां दुर्गा को प्रसन्न और तंत्र साधना के लिए मनाया जाता है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा को गुप्त रखा जाता है,शास्त्रों के अनुसार दुर्गा माता की पूजा करने से फल दोगुना मिलता है।

दुर्गा मां की बहुत ही विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। अगर इसकी पूजा में किसी तरह की कमी रहती है तो मां नाराज हो जाती है और फल की जगह बहुत ही बुरा होता है। इसलिए गुप्त नवरात्रि के बहुत ही सोच समझके पूजा पाठ किए जाते हैं। सबसे पहले सुबह-शाम दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्त शती का पाठ किया जाता है। दोनों वक्त की पूजा में लौंग और बताशे का भोग लगाया जाता है। खास बात ध्यान रखें कि मां दुर्गा को सदैव लाल रंग के पुष्प ही चढ़ाएं जाते हैं।


पूजा पाठ करते हुए माता दुर्गा के विशिष्ट मंत्र 'ऊं ऐं ह्रूीं क्लीं चामुंडाय विच्चे' का सुबह-शाम 108 बार जप किया जाता है। इससे मां पूजा करने पर और मंत्र का जाप करने से दुर्गा मां खुश होती है। खास ध्यान रखें कि नवरात्रि के दौरान मांस-मदिरा, लहसुन और प्याज का बिल्कुल सेवन नहीं करें। नारी का सदैव सम्मान करें, घर में कलेश, द्वेष नहीं करें, बाल, दाढ़ी और नाखून नहीं काटें।