/fit-in/640x480/dnn-upload/images/2022/08/26/durva-grass-in-ganesh-puja-1661516541.png)
हिंदू धर्म में प्रत्येक त्योहर बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का पर्व भी इन्हीं में से एक है। गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन की मनाई जाती है। इस दिन घर पर शुभ मुहूर्त में गणेशजी की स्थापना की जाती है। गणेश उत्सव दस दिवसीय पर्व है। 10 दिन तक घर पर बप्पा को विराजित किया जाता है और गणेश विसर्जन के दिन गणपति विसर्जन होता है। बता दें कि इस बार गणेश चतुर्थी 31 अगस्त के दिन मनाई जाएगी।
यह भी पढ़े : Vastu Dosh: अगर आपके घर में भी लगे हुए हैं ऐसे शोपीस तो आज ही हटा दें, बनते हैं वास्तु दोष का कारण
घर में भगवान गणेश की स्थापना करने से रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि भगवान गणेश बहुत जल्द रुष्ट हो जाते हैं। लेकिन उन्हें मनाना भी उतना ही आसान है। इसलिए गणपति की पूजा के समय कुछ बातों को अगर ध्यान से किया जाए, तो बप्पा को बहुत जल्द प्रसन्न किया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गणेश जी को उनकी प्रिय चीजें अर्पित करने से लाभ होता है। इनमें से एक है दूर्वा। कहते हैं दूर्वा बप्पा को बेहद प्रिय है। और गणपति की पूजा दूर्वा का बिना अधूरी मानी जाती है। आइए जानते हैं दूर्वा चढ़ाने के नियम।
दूर्वा ऐसे अर्पित करें
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दूर्वा के बिना गणपति की पूजा अधूरी मानी जाती है। साथ ही, ऐसा भी कहा जाता है कि बप्पा को दूर्वा अर्पित करने से वे जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों के सभी कष्ट कर लेते हैं। दूर्वा हमेशा जोड़े में अर्पित की जाती है। ऐसे में दो दूर्वा को जोड़कर एक गांठ लगाई जाती है। ऐसे में 22 दूर्वा को जोड़कर 11 जोड़े तैयार कर लें। अगर ऐसा संभव न हो पा रहा हो तो बप्पा को 3 या 5 गांठ वाली दूर्वा भी अर्पित की जा सकती है।
दूर्वा अर्पित करते समय करें इस मंत्र का जाप
शास्त्रों के अनुसार गणेश जी को दूर्वा अर्पित करते समय मंत्र का जाप करना उत्तम माना गया है। अगर आप मंत्र का जाप करते हुए दूर्वा अर्पित करेंगे, तो घर में सुख-समृद्धि आती है और गणेश जी की कृपा बनी रहेगी।
यह भी पढ़े : Horoscope Today 26 August: इन राशि वालों के लिए जोखिम का अंतिम दिन आज, इन राशि वालों को बिजनेस में
दूर्वा अर्पित करने के मंत्र-
- इदं दूर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः
- ओम् गं गणपतये नमः
- ओम् एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्
- ओम् श्रीं ह्रीं क्लें ग्लौम गं गणपतये वर वरद सर्वजन जनमय वाशमनये स्वाहा तत्पुरुषाय
विद्महे वक्रतुंडाय धिमहि तन्नो दंति प्रचोदयत ओम शांति शांति शांतिः
- ओम् वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा
इन बातों का रखें ध्यान
- शास्त्रों के अनुसार दूर्वा को गणेश जी की मस्तक पर अर्पित किया जाता है।
- दूर्वा हमेशा मंदिर या बगीचे में उगी हुई ही अर्पित करनी चाहिए। कहीं से भी तोड़कर नहीं लानी चाहिए।
- ऐसी जगह से दूर्वा न लेकर आएं, जहां जमीन गंदी हो या फिर जमीन में गंदा पानी हो।
- गणेश जी को दूर्वा अर्पित करने से पहले उसे साफ पानी में धो कर ही इस्तेमाल करें।
फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |