/fit-in/640x480/dnn-upload/images/2021/04/08/women-naga-sadhu-1617858158.jpg)
जूना अखाड़ा की नागा संन्यासी बनने के लिए 200 महिलाओं ने मुंडन करा लिया है। इन महिलाओं ने सांसारिक मोह-माया, पारिवारिक बंधन और अपने-अपने शिखा सूत्र का त्याग कर दिया है। हरिद्वार के बिड़ला घाट पर मुंडन संस्कार में हिस्सा लिया और अब अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर इन सभी को अवधूतानी के रूप में दीक्षित करेंगे। अखाड़े की साध्वी श्रीमहंत साधना गिरि ने बताया कि नागा संन्यासी बनने को सबसे पहले बहुत कुछ त्यागना पड़ता है।
पहले संन्यासी बनना पड़ता है और फिर उसके बाद महिला नागा संन्यासी बना जाता है। इसमे महिलाएं पंच संस्कार धर्म का पालन करती हैं। इसी के तहत सभी को अपने-अपने पांच गुरु-कंठी गुरु, भगौती गुरु, भर्मा गुरु, भगवती गुरु व शाखा गुरु (सतगुरु) बनाने पड़ते हैं, जिसमें कठोर नियमों का पालन करना पड़ता हैं। महिला नागदा संन्यासी बनने की प्रक्रिया के तहत सभी साध्वी पूरी रात धर्मध्वजा के नीचे पंचाक्षरी मंत्र 'ॐ नम: शिवाय' का जाप करती हैं।
ऐसे बनती है महिलाएं नागा संन्यासी
श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि ने बताया कि यह प्रक्रिया आज पूर्ण होगी। जूना अखाड़े की महिला अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आराधना गिरि ने बताया कि संन्यास दीक्षा में कुंभ पर्व के दौरान गंगा घाट पर मुंडन (केश त्याग) व पिंडदान होता है। फिर संन्यास दीक्षा देते है और गंगा में 108 डुबकियां लगाती है, बाद महिलाओं को स्त्री व धर्म की मर्यादा के लिए तन ढकने को पौने दो मीटर कपड़ा दिया जाता है। अग्नि वस्त्र धारण करती हैं।
फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |