रामायण (Ramayana) के बारे में हम जानते हैं। सीता मां के लिए भगवान श्री राम (Lord Shri Ram) ने रावण का वध कर दिया था। यह कहानी सब जानते हैं लेकिन ये कोई नहीं जाता है कि राम ने रावण (Ravana) जैसे महान वेदों के ज्ञाता को एक तीर से कैसे मार गिराया। आपका भी यह सवाल है तो आज जानिए आखिर राम ने रावण को मारने के लिए क्या किया था।
जैसे कि हम जानते हैं कि देवों के देव महादेव भगवान शिव (Mahadev) माने जाते हैं। महादेव को शास्त्रों में अत्यंत भोले है। कहा जाता है कि कोई भी भक्त सच्चे दिल से अगर उनकी भक्ति करे, तो महादेव उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। महादेव को प्रसन्न करने के लिए ‘शिव रुद्राष्टक स्तोत्र (Shiv Rudrashtak Stotra)’ही काफी है।
बता दें कि श्रीरामचरितमानस (Ramcharitmanas) में लिखी इस स्तोत्र को बेहद शक्तिशाली माना गया है। बताया जाता है कि भगवान श्रीराम (Shri Ram) ने भी रावण का वध करने से पहले रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना करके पूजन किया था और शिव रुद्राष्टक स्तोत्र का श्रद्धापूर्वक पाठ किया था. इसके बाद ही रावण का अंत हुआ और श्रीराम विजयी हुए।
शिव रुद्राष्टक स्तोत्र

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम्

निराकारमोङ्करमूलं तुरीयं
गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम्
करालं महाकालकालं कृपालं
गुणागारसंसारपारं नतोऽहम्

तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभिरं
मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम्
स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा

चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं
प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं
त्र्यःशूलनिर्मूलनं शूलपाणिं
भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम्

कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी
चिदानन्दसंदोह मोहापहारी
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी

न यावद् उमानाथपादारविन्दं
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं

न जानामि योगं जपं नैव पूजां
नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम्
जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति