/fit-in/640x480/dnn-upload/images/2021/11/11/2-1636602640.jpg)
चार दिनों तक मनाया जाने वाल छठ पूजा (Chhath puja) का आज यानी 11 नवंबर को उगते हुए सूर्य भगवान को अर्घ्य (Arghya) देने के साथ ही समापन हो गया। इस साल छठ की शुरुआत 8 नवंबर को नहाय खाय के साथ हुई थी। 9 नवंबर को खरना मनाया गया था। 10 नवंबर को डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया गया। छठ पर्व के अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व (Chhath mahaparv) का समापन हो जाएगा। वैसे तो सूर्य को अर्घ्य हरेक दिन दिया जाता है लेकिन छठ पूजा में सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है।
षष्ठी तिथि के समय में डूबते सूर्य को और अगले दिन प्रात: उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के कई फायदे हैं। इस दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का खास महत्व है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार छठ महापर्व की शुरुआत महाभारत काल से मानी जाती है। भगवान सूर्यदेव की कृपा से कुंती को कर्ण नाम का तेजस्वी पुत्र प्राप्त हुआ था। कर्ण हर रोज जल में कमर तक खड़े होकर सूर्यदेव को अर्ध्य दिया करते थे। वे रोजाना सूर्यदेव की पूजा अर्चना करते थे। माना जाता है कि जल में कमर तक खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा वहीं से शुरू हुई। छठ पूजा के दौरान षष्ठी और सप्तमी तिथि को व्रती जल में कमर तक खड़े होकर भगवान सूर्यदेव को जल अर्पित करते हैं। एक अन्य मान्यता के अनुसार जब पांडव जुए में सारा राजपाट हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत किया था। इस व्रत के पुण्य से उनका राजपाट दोबारा मिल गया।
छठ पूजा (Chhath Puja) में अस्ताचल सूर्य यानी डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। मान्यता है कि सायंकाल में सूर्यदेव अपनी पत्नी देवी प्रत्युषा के साथ समय व्यतीत करते हैं। इसी कारण शाम में डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर सूर्य के साथ-साथ देवी प्रत्युषा की भी उपासना की जाती है। ऐसा करने से व्रती की मनोकामना तुरंत पूरी हो जाती है। यह भी माना जाता है कि सूर्य को अर्घ्य देने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है। छठ पूजा के अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। इस दिन पूरा परिवार घाट पर पहुंचता है और सूर्य देवता और छठी मैया की अराधना करता है।
अर्घ्य में सूर्य देवता को जल, दूध अर्पित किया जाता है। सूर्य संपूर्ण ब्रह्मांड को ऊर्जा प्रदान करता है। सूर्य को जल देने के कई फायदे हैं। माना जाता है कि सूर्य को अर्घ्य देने से सौभाग्य बना रहता है। सूर्य को निडर और निर्भीक ग्रह माना जाता है। इसी आधार पर सूर्य को अर्घ्य देने वाले श्रद्धालुओं को भी यह गुण प्राप्त हो जाता है। इसके अलावा कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है। सूर्य में अर्घ्य देने से शनि की बुरी दृष्टि का प्रभाव भी कम होता है। सूर्य देवता को अर्घ्य देने का असर बुद्धि पर पड़ता है और मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |