दुनिया में काला जादू कई तरह से किया जाता है। कुछ पढ़े लिखे लोग इसे एक अंधविश्वास मानते हैं लेकिन कुछ लोग इसे सच मानते हैं। आपरी जानकारी के लिए बता दें कि काले जादू की कैसे शुरू हुआ था। काला जादू की अफ्रीका से ही शुरुआत हुई थी। बताया जाता है कि एरजूली नाम की एक देवी पेड़ पर साल 1847 में प्रकट हुईं थीं। लोगों की मान्यताओं के मुताबकि उन्हें प्यार और सुंदरता की देवी के रूप में जाना जाता था। 

वहां के लोगों की बीमारियां उन्होंने अपनी शक्तियों से दूर की थीं। प्यार और सुंदरता की देवी चर्च के पादरियों को बिल्कुल भी पसंद नहीं आ रही थी। ईशनिंदा इसे उन्होंने कहा था और उस पेड़ को ही कटवा दिया। देवी की मूर्ति बनाकर लोग यहां पर पूजा करने लगे। लोगों के रोग और परेशानियां दूर करने के लिए वूडू का उपयोग करते थे। लेकिन वूडू को जब गलत रूप से उपयोग करना शुरु कर दिया तो उसका नाम काला जादू पड़ गया। 

इस दौरान इंसान के शरीर में मरे हुए इंसान की प्रेतात्मा को बुलाया जाता है और अपने स्वार्थ के लिए दूसरे लोगों के शरीर में डाला जाता है। नकारात्मक ऊर्जा का हमला किसी भी व्यक्ति पर होता है तो उसका शरीर प्रतिराेध इसका करता है। बिना किसी वजह से दिल की धड़कन बढ़ जाती है। जब भी किसी व्यक्ति पर काला जादू होता है तो उसका मन और मस्तिष्क कमजोर होने लगता है। भयानक सपने रात को सोते समय आते हैं। जिन लोगों पर काला जादू होता है उन्हेंै अकेलापन पंसद हो जाता है। इसके अलावा उन्हें भूख प्यास नहीं लगती। ऐसे व्यक्ति हमेशा बीमार रहते हैं। इनकी बीमारी के बारे में डॉक्टर पर कई बार पता नहीं लगा पाते। तुलसी के पत्ते घर में अचानक सूख जाते हैं।