माघ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी प्रदोष व्रत है। इस दिन मंगलवार होने के कारण भौष प्रदोष व्रत का शुभ संयोग है। सोने पे सुहागा शनि भी मकर राशि में उदय होंगे। इसलिए प्रदोष व्रत का महत्व और बढ़ गया है। प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव जी प्रसन्न होते हैं और भक्त की सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं, जिससे सुख-समृद्धि और वैवाहिक कार्यों में वृद्धि होती हैं। भौम प्रदोष व्रत में माघ मास कृष्ण त्रयोदशी आरंभ प्रात: 03 बजकर 19 मिनट से लेकर 10 फरवरी 2021 बुधवार प्रात: 02 बजकर 05 मिनट पर खत्म होगा।

प्रदोष काल मतलब पूजा का शुभ शाम 06 बजकर 03 मिनट से आरंभ होकर रात 08 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। मंगल दोष खत्म करने के लिए भौष प्रदोष व्रत के दिन हनुमान जी को चमेली के तेल में सिंदूर घोलकर चोला चढ़ाएं और सुंदरकांड का पाठ करें। इसी के साथ उड़द से बनी मिठाई, लड्डू आदि हनुमान जी को अर्पित करने से शनि ग्रह का अशुभ प्रभाव कम होता है। भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को लाल मसूर की दाल अर्पित करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।

प्रदोष व्रत करने के लिए व्रती को त्रयोदशी के दिन सुबह जल्दी उठे। भगवान शिव का ध्यान करें। बता दें कि इस व्रत में भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है। गुस्सा या विवाद से बचें और अपशब्द का उपयोग ना करें। प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें और सूर्यास्त से एक घंटा पहले नहाकर भगवान शिव की पूजा करें। व्रत की पूजा में कुशा के आसन का प्रयोग करें।