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आज नवरात्रि (Navratri) की समप्ति है। आज आखरी नवरात्रि है और आज के पावन पर्व पर मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है। माना जाता है कि मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं और उन्हें यश, बल और धन भी प्रदान करती हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) को सिद्धि और मोक्ष की देवी है।
मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) महालक्ष्मी (Mahalaxmi) के समान कमल पर विराजमान हैं। मां के चार हाथ हैं। मां ने हाथों में शंख, गदा, कमल का फूल और च्रक धारण किया है। मां सिद्धिदात्री को माता सरस्वती (mata saraswati) का रूप भी मानते हैं। इस दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है। आज महानवमी भी है। इस दिन खास पूजा- हवन किया जाता है और साथ ही कन्या पूजन भी किया जाता है।
पूजा विधि-
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।
स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
मां को रोली कुमकुम भी लगाएं।
मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं।
मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें।
मां की आरती अवश्य करें।
मां सिद्धिदात्री का भोग-
मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा अतिप्रिय है। कहते हैं कि मां को इन चीजों का भोग लगाने से वह प्रसन्न होती हैं।
मां सिद्धिदात्री मंत्र-
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
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