गणेश चतुर्थी 10 सितंबर को है। इस दिन खास भगवान गणेश की पूजा की जाती है। शास्त्रओं में बताया जाता है कि इस दिन मध्याह्न में गणपति पूजा में 21 मोदक अर्पण करते हुए, प्रार्थना के लिए ये श्लोक पढ़ें -


विघ्नानि नाशमायान्तु सर्वाणि सुरनायक।
कार्यं मे सिद्धिमायातु पूजिते त्वयि धातरि।

ध्यान रखें कि गणेश जी को अर्पित किया गया नैवेद्य सबसे पहले उनके सेवकों- गणेश, गालव, गार्ग्य, मंगल और सुधाकर को देना चाहिए।  चंद्रमा, गणेश और चतुर्थी माता को दिन में अर्घ्य अर्पित करें। देखा जाए तो अधिकांश मनुष्य किसी भी प्रकार के विघ्न के आने से भयभीत हो उठते हैं।
ऐसे में गणेश जी की पूजा से विघ्न समाप्त हो जाता है। उल्लेख मिलता है कि माता पार्वती और पिता शिव के समक्ष गणेश ने वेद में यह वचन कहें, जो आज भी अति महत्वपूर्ण है-
पित्रोश्च पूजनं कृत्वा प्रक्रांतिं च करोति य:।
तस्य वै पृथिवीजन्य फलं भवति निश्चितम।।