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अपन संतान सबको प्यारी होती है। अपनी संतान के लिए मां बाप किसी भी हद तक
जा सकते हैं। इसी तरह से भगवान से उनके लिए हमेशा मां बाप दुआ करते रहते
हैं। इसी तरह शास्त्रों में संतान की सुख समृद्धि और लंबी आयू के लिए जितिया व्रत के बारे में जिग्र किया है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है। इस साल 28 सितंबर से शुरू होकर 30 सितंबर तक चलेगा।
बता दें कि इस व्रत को जिउतिया, जितिया, जीवित्पुत्रिका या जीमूतवाहन व्रत भी कहा जाता है। यह व्रत तीन दिनों तक चलता है। माताएं जीवित्पुत्रिका व्रत संतान प्राप्ति और उनके लंबी आयु की कामना के लिए रखती हैं। आश्विन मास की अष्टमी तिथि को हर साल जितिया व्रत का प्रथम दिन यानी नहाए खाए होता है। उसके अगले दिन निर्जला व्रत रखा जाता है।
व्रत विधि-
जितिया व्रत के पहले यानी नहाए खाए को सूर्यास्त के बाद कुछ खाना नहीं चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से व्रत खंडित हो जाता है। 28 सितंबर को आश्विन मास की अष्टमी तिथि है, ऐसे में माताएं नहाए खाए का विधान मंगलवार को करेगी। इसके अगले दिन 29 सितंबर यानी नवमी तिथि को निर्जला व्रत रखा जाएगा। 30 सितंबर को व्रत का पारण होगा।
शुभ मुहूर्त-
जितिया व्रत- 29 सितंबर अष्टमी तिथि प्रारंभ- 28 सितंबर को 06 बजकर 16 मिनट से 29 सितंबर की रात 08 बजकर 29 मिनट तक रहेगी।
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