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सनातन परंपरा में रविवार का दिन भगवान सूर्यदेव की साधना-आराधना के लिए सबसे उत्तम माना गया है। पृथ्वी पर सूर्य एक ऐसे देवता हैं, जिनके हमें प्रतिदिन दर्शन होते हैं। रोक, शोक आदि दूर करके सभी सुखों को प्रदान करने वाले सूर्यदेव का विधि-विधान से पूजन आदि करने का अत्यंत महत्व है। यदि आपकी कुंडली में सूर्य देव कमजोर होकर अशुभ फल दे रहे हैं तो उनकी शुभता को पाने के लिए रविवार का व्रत सबसे उत्तम उपाय है।
भगवान सूर्य का आशीर्वाद पाने के लिए रविवार का व्रत किसी भी मास के शुक्लपक्ष से प्रारंभ करना चाहिए। इसे कम से कम 12 व्रत अवश्य रखना चाहिए। हालांकि यदि संभव हो तो पूरे साल रखना चाहिए।
रविवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद स्वच्छ कपड़े पहनकर भगवान सूर्य देव के बीज मंत्र की पांच माला जप करें। इसके बाद रविवार व्रत की कथा पढ़ें। इसके बाद भगवान सूर्य को गंध, चावल, दूध, लाल फूल और जल अर्पित करें। इसके बाद भगवान सूर्य की प्रदक्षिणा करके उनके प्रसाद स्वरूप लाल चंदन को अपने मस्तक पर लगाएं।
रविवार के व्रत वाले दिन सिर्फ गेहूं की रोटी या गेहूं का दलिया गुड़ डाल कर प्रसाद के रूप में सेवन करें। ऐसा करते हुए जब आपके व्रत का संकल्प पूरा हो जाए तो अंतिम रविवार वाले व्रत के दिन कम से कम चार ब्राह्मण को आदर के साथ भोजन कराएं। भोजन के बाद ब्राह्मणों को लाल कपड़े, लाल फल, लाल मिठाई, लाल पुष्प, नारियल, दक्षिणा आदि देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
रविवार का दिन क्रूर कार्यों के लिए उत्तम माना गया है। जैसे अस्त्र–शस्त्र का प्रयोग, युद्ध, अग्नि से संबंधित कार्य आदि। इस दिन राज्याभिषेक, राजनीति से जुड़े कार्य, सरकारी काम आदि के लिए रविवार का दिन विशेष फलदायी माना गया है।
रविवार का व्रत रखने से सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत को करने से आंख से संबंधी दोष दूर होते हैं और आयु बढ़ती है। रविवार का व्रत करने से जातक के तेज, बल, यश आदि में वृद्धि होती है। रविवार का व्रत करने मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। रविवार का व्रत सभी प्रकार के ज्ञात एवं अज्ञात शत्रुओं से रक्षा करने वाला है।
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