
हिन्दू मान्यताओं में सूर्य को जल देने के विशेष रुप से महिमा बताई गई है। वैदिक काल से ही सूर्य भगवान की उपासना होती आ रही है। शिव पुराण, भागवत पुराण, ब्रह्मावैवर्त पुराण में इसकी चर्चा विस्तार से की गई है।
मान्यता है कि, सूर्य भगवान की कृपा दृष्टि से रोग और शोक नष्ट हो जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब श्री विष्णु भगवान धरती पर श्रीराम रुप में अवतरित हुए तो वो भी अपने दिन का आरंभ भगवान भास्कर की पूजा से ही किया करते थे।
हिन्दू मान्यताओं में सूर्य को जल देने के विशेष रुप से महिमा बतायी गई है। वैदिक काल से ही सूर्य भगवान की उपासना होती आ रही है। शिव पुराण, भागवत पुराण, ब्रह्मावैवर्त पुराण में इसकी चर्चा विस्तार से की गई है।
मान्यता है कि, सूर्य भगवान की कृपा दृष्टि से रोग और शोक नष्ट हो जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब श्री विष्णु भगवान धरती पर श्रीराम रुप में अवतरित हुए तो वो भी अपने दिन का आरंभ भगवान भास्कर की पूजा से ही किया करते थे। दरअसल सूर्य नारायण को प्रत्यक्ष देवता माना गया है। क्योंकि हर कोई व्यक्ति इनके साक्षात दर्शन कर सकता है।
किसी भी व्यक्ति की कुण्डली में मौजूद सूर्य ग्रह को पिता या ज्येष्ठ का दर्जा दिया गया है। जिस जातक की कुण्डली में सूर्य की स्थिति सही ना हो अथवा उनका ताप अधिक हो तो उसे सूर्य को अर्घ्य देने की सलाह दी जाती है, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि, नियमित तौर पर जल देने के बाद भी कोई अपेक्षित परिणाम हासिल नहीं होता।
ऐसे हालातों में इन उपायों से विश्वास टूटने लगता है। जोकि किसी भी रुप में सही नहीं है। हो सकता है कि, आप कुछ ऐसा कर रहे हों जिससे आपका उपाय विफल हो रहा हो अथवा फिर आपका उपाय करने का तरीका सही ना हो। वहीं शास्त्रों में सूर्यदेव से जुड़े कई ऐसे उपाय मौजूद हैं जिनके करने से आपको समाज में मान-सम्मान मिलेगा और साथ ही आपके दुश्मन भी आपके मित्र बन जाएंगे और साथ ही आपकी सफलताओं का प्रकाश सूर्य की किरणों के समान ही चारों तरफ फैलने लगेगा।
सर्वप्रथम सूर्यदेव को जल चढ़ाने से पहले सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण करें। उसके बाद तांबे के पात्र में साफ जल भर लें और उसमें पुष्प, मिश्री और अक्षत डाल लें। इसके बाद आप सूर्य नारायण को प्रणाम करें और जल अर्पित करते हुए, *'ऊँ सूर्याय नम:'* मंत्र का जाप करें. इसके बाद आप सूर्यदेव से प्रार्थना करते हुए बोलें कि, हे!
सूर्यदेव जिस प्रकार आपका प्रकाश चारों तरफ फैला हुआ है उसी प्रकार मेरी सफलताओं का प्रकाश भी चारों तरफ फैलायें और मेरे दुश्मन मेरे मित्र बन जाएं। ऐसा हर रोज करने से आपके दुश्मन भी आपके मित्र बन जाएंगे और आपको हर कार्य में सफलता मिलने लगेगी।
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