
कोरोना ने लाखों जानें लीं, कई परिवार तो पूरे के पूरे उजड़ गए। वहीं कुछ परिवारों में इक्का-दुक्का सदस्य ही बच पाए। पितृ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों या परिजनों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म आमतौर पर बड़ा बेटा या छोटा बेटा ही करता है। लेकिन जिन परिवारों में ऐसी स्थिति नहीं बन पा रही है, उनके लिए बड़ा सवाल है कि अब तर्पण और श्राद्ध कौन कर सकता है। 20 सितंबर से शुरू होकर 6 अक्टूबर तक चलने वाले पितृ पक्ष को लेकर आज जानते हैं कि परिवार के कौन-कौन से सदस्य श्राद्ध कर सकते हैं।
धर्म-शास्त्रों में मृत्यु, मृत्यु के बाद के अनुष्ठानों के बारे में बहुत विस्तार से बताया गया है। इसके मुताबिक अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने का पहला अधिकार बड़े बेटे का होता है। श्राद्ध-तर्पण के इस काम में उसकी पत्नी उसका साथ दे सकती है। बड़ा बेटा किसी कारणवश यह काम न कर पाए तो छोटा बेटा तर्पण-श्राद्ध कर्म करता है। दोनों बेटों की अनुपस्थिति में पोता श्राद्ध करता है।
अब सवाल आता है कि जिसके बेटे ही न हो तो वह क्या करे। ऐसी स्थिति में बेटी का बेटा श्राद्ध कर्म कर सकता है और जिनका नवासा भी न हो तो परिवार के अन्य भाई या भतीजे तर्पण-श्राद्ध करते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि परिस्थिति जो भी हो लेकिन श्राद्ध कर्म जरूर करें क्योंकि यह पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए बहुत जरूरी है।
तर्पण-श्राद्ध करने के अलावा इस बात का ध्यान रखें कि श्राद्ध कर्म करने वाला व्यक्ति पितृ पक्ष के दौरान ना तो बाल-नाखून काटे, ना ही तामसिक भोजन-शराब का सेवन करें। इन दिनों में कोई शुभ काम न करें। जितनी सामर्थ्य हो उतना दान-पुण्य करें। पशु-पक्षियों, गरीबों को भोजन कराएं।
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