शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। इसी के साथ इनको क्रूर ग्रह माना जाता है। शनि को कर्म फलदाता माना जाता है। शनि हर व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। अब जानते हैं शनि की महादशा, साढ़े साती और शनि ढैय्या के बारे में। अभी जिन राशियों में शनि की साढ़े साती और शनि ढैय्या चल रही हो और शनि मजबूत स्थिति में जन्म कुंडली में विराजमान हों तो शुभ फल देते हैं।

शनि की कमजोर स्थिति में जातक को कष्टों का सामना करना पड़ता है-

धनु राशिवालों को शनि के राशि परिवर्तन के साथ ही धनु राशि वालों को शनि की महादशा से छुटकारा मिल जाएगा। शनि की साढ़े साती का धनु राशि वालों पर अंतिम चरण चल रहा है। 29 अप्रैल 2022 को धनु राशि वालों पर शनि की साढ़े साती खत्म हो जाएगी। लेकिन 12 जुलाई 2022 को शनि के वक्री अवस्था में आने पर एक बार फिर से धनु राशि वाले इसकी चपेट में आ जाएंगे।


मकर राशि वालों पर शनि की साढ़े साती का दूसरा चरण चल रहा है। मकर राशि वालों पर शनि की साढ़े साती 26 जनवरी 2017 से शुरू हुई थी। यह 29 मार्च 2025 को समाप्त होगी।


कुंभ राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती 24 जनवरी 2020 से शुरू हुई थी। इससे मुक्ति 3 जून 2027 को मिलेगी। लेकिन शनि 20 अक्टूबर 2027 को अपनी वक्री चाल में मीन राशि में गोचर करेंगे। जिसके चलते कुंभ राशि वालों पर एक बार फिर शनि की साढ़े साती शुरू होगी। शनि की महादशा से आपको 23 फरवरी 2028 को शनि के मार्गी होने पर छुटकारा मिलेगा।