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आज छठ पर्व (Chhath festival) का खास दिन हैं। हमेशा की तरह यह त्योहार हर साल कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मुख्य रूप से इस पर्व को बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखा जाता है जो कि बहुत ही कठिन होता है क्योंकि इस पर्व में 36 घंटे निर्जला व्रत रखकर सूर्य देव और छठी मैया (Chhathi Maiya) की पूजा और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है।
मान्यता है छठ पूजा (Chhath Puja) करने से हर मनोकामना पूर्ण होती हैं। बता दें कि इस व्रत को संतानों के लिए रखा जाता है। जानिए छठ पर्व की पूजा विधि, सामग्री, प्रसाद, कथा और आरती।
संध्या अर्घ्य और प्रात:काल के अर्घ्य का समय:-
10 नवंबर (संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय : 05:30 PM
11 नवंबर (प्रात:काल अर्घ्य) सूर्योदय का समय : 06:41 AM
छठ पूजा (Chhath Puja) विधि:-
-छठ पर्व के दिन प्रात:काल स्नानादि के बाद संकल्प लिया जाता है। संकल्प लेते समय इस मन्त्र का उच्चारण किया जाता है-
ॐ अद्य अमुक गोत्रो अमुक नामाहं मम सर्व पापनक्षयपूर्वक शरीरारोग्यार्थ श्री सूर्यनारायणदेवप्रसन्नार्थ श्री सूर्यषष्ठीव्रत करिष्ये।
- पूरे दिन निराहार और निर्जला व्रत रखा जाता है। फिर शाम के समय नदी या तालाब में जाकर स्नान किया जाता है और सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है।
- अर्घ्य देने के लिए बांस की तीन बड़ी टोकरी या बांस या पीतल के तीन सूप लें।
- इनमें चावल, दीपक, लाल सिंदूर, गन्ना, हल्दी, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी रखें।
- साथ में थाली, दूध और गिलास ले लें।
- फलों में नाशपाती, शहद, पान, बड़ा नींबू, सुपारी, कैराव, कपूर, मिठाई और चंदन रखें।
- इसमें ठेकुआ, मालपुआ, खीर, सूजी का हलवा, पूरी, चावल से बने लड्डू भी रखें।
- सभी सामग्रियां टोकरी में सजा लें।
- सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रखें और सूप में एक दीपक भी जला लें।
- इसके बाद नदी में उतर कर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
अर्घ्य देते समय इस मंत्र का उच्चारण करें-
ऊं एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पया मां भवत्या गृहाणार्ध्य नमोअस्तुते॥
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