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हमारे धर्म ग्रंथों में सूर्यदेव की जीवन प्रदाता कहा गया है। ये आरोग्य, मान-सम्मान और सौभाग्य प्रदान करते हैं। पंचदेवों में सूर्य ही एक ऐसे देव हैं जो हमें प्रत्यक्ष रूप से दर्शन देते हैं। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय को वे ही दिन-रात की संधि की तरह देखा जाता है। शास्त्रों में दोनों समय बहुत ही महत्वपूर्ण माने गए है। हमारे शास्त्रों में कुछ ऐसे कामों का उल्लेख किया गया है जिन्हें सूर्यास्त के बाद या दौरान कभी नहीं करना चाहिए। सूर्यास्त के समय या सूर्यास्त के बाद ये कार्य करना बेहद अशुभ माना गया है। माना जाता है कि संध्या के समय जब दोनों बेला मिलती है उस समय यदि कोई व्यक्ति ये कार्य करता है तो उसके घर में मां लक्ष्मी वास नहीं करती हैं। घर में दरिद्रता और नकारात्मकता बढ़ने लगती है।
सनातन धर्म को मानने वाले लगभग प्रत्येक घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगा होता है। जिस घर में तुलसी के पौधे की नियमित रूप से पूजा की जाती है, वहां पर मां लक्ष्मी वास करती हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है, लेकिन ध्यान रखना चाहिए कि सूर्यास्त के बाद तुलसी में जल नहीं देना चाहिए और न ही इस स्पर्श करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से धन की देवी लक्ष्मी रूष्ट हो जाती हैं, जिससे आपको धन हानि का सामना करना पड़ सकता है।
हिन्दू धर्मग्रंथों में सूर्योदय या सूर्यास्त के समय सोना और भोजन करना निषेध माना गया है। सूर्यास्त के समय जब दोनों बेला मिलती है, उस समय किया गया भोजन और नींद लेना स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। ऐसा करने से स्वास्थ्य के साथ धन की हानि भी होती है।
सुबह के समय घर की साफ-सफाई करना, बुहारी लगाना जितना सकारात्मक माना जाता है, सूर्यास्त के बाद झाड़ू लगाना उतना ही अशुभ माना जाता है। झाड़ू को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। मान्यता है कि संध्या के समय या सूर्यास्त के बाद घर में झाड़ू लगाने से सौभाग्य का नाश होता है। घर में दरिद्रता का वास होने लगता है। संध्या के बाद झाड़ू को स्पर्श भी नहीं करना चाहिए। घर में साफ-सफाई, बुहारी आदि का कार्य सूरज ढलने से पहले ही निपटा लेना चाहिए।
सूर्यास्त से समय या फिर सूर्य डूबने के बाद कभी भी अपने बाल ना कटवाएं और ना ही शेव करवाएं। इसी तरह से सूर्य अस्त होने के पश्चात महिलाओं को अपने बाल नहीं संवारने चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से नकारात्मक प्रभाव हावी होता है।
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