
आज से लोक से पूर्वज अपने परिजनों को आशीर्वाद देने और उनकी खैरियत देखने आएंगे। इस समय पूर्वजों के आगमन पर परिवारजन शोक मनाने के साथ साथ पूर्वजों कई तरह के खाने का भोग लगाते हैं। बताया जाता है कि पूर्वज धरती पर कौओं रूप में आते हैं। इसलिए श्राद्ध के समय कौओं को खाना खिलाया जाता है। साथ ही ब्रह्मणों को भी भोज खिलाया जाता है।
श्राद्धों में कुछ बातों का ख्याल जरूर रखना चाहिए। नहीं रखा जाए तो पूर्वज नाराज हो जाते हैं अपने ही परिवार को श्राप देकर लोक चले जाते हैं। वैसे तो श्राद्धों में पूर्वजों की मनपसंद का खाना बनाया जाता है। लेकिन आपका जानकरी के लिए बता दें कि श्राद्धों में कुछ चीजें बनाना निषिद्ध होती है।
इस समय में श्राद्ध के दौरान चना, मसूर, उड़द, कुलथी, सत्तू, मूली, काला जीरा, कचनार, खीरा, काला नमक, लौकी, बड़ी सरसों, काले सरसों की पत्ती और बांसी अन्न निषेध है।
अनिवार्य-श्राद्ध के भोजन में जौ, मटर, कांगनी और तिल का उपयोग श्रेष्ठ रहता है। तिल की मात्रा अधिक होने पर श्राद्ध अक्षय हो जाता है। कहते हैं तिल पिशाचों से श्राद्ध की रक्षा करते हैं, साथ ही श्राद्ध के कार्यों में कुशा का भी महत्व है।
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