जब धर्म और ईश्वर में विश्वास रखने वाला कोई भी व्यक्ति देव उपासना से जीवन में आ रही तमाम मुश्किलों को दूर करने के साथ-साथ बदनसीबी से छुटकारा पा सकता है। जिनकी प्रसन्नता न केवल भाग्य के दरवाजे खोल देती है, बल्कि दु:ख और पीड़ा दूर करती है।  वह देवता हैं - शनि। 

शास्त्रों के मुताबिक शनि न्याय के देवता माने गए हैं।  असल में, वह अच्छे-बुरे कर्मों के अनुसार ही सजा देते हैं, जो सांसारिक जीवन में इंसान दु:ख और पीड़ा के रूप में भोगता है।  यही कारण है शनिवार, शनि की साढ़ेसाती या महादशा में शनि देव की पूजा सुख की कामना से बहुत ही शुभ मानी जाती है। 

वैसे तो शनि के चित्र, शिला, लिंग रूप की पूजा परंपरा प्रचलित है, किंतु शास्त्रों में शनि की ऐसे विशेष स्वरूप की मूर्ति पूजा का महत्व बताया गया है, जो तत्काल शनि पीड़ा शांत कर अपार सुख भी देती है। 

शास्त्रों के मुताबिक शनि कृपा से सुख-सौभाग्य चाहने वाले भक्तों को शनि की लोहे की चार भुजाधारी, जो धनुष, भाला और तीर धारण किए हो, की पूजा करनी चाहिए।  इस मूर्ति को तिल के तेल या तिलों के ढेर पर रखकर शनि की गंध, अक्षत, काले वस्त्र, काले तिल से पूजा करें.