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गुवाहाटी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Union Education Minister Dharmendra Pradhan) ने शनिवार को कहा कि देश का पूर्वोत्तर क्षेत्र जहां लोग कम से कम 180 विभिन्न भाषाएं बोलते हैं और विविधता का प्रतीक है उसका प्रवेश द्वार असम (assam) मातृभाषा आधारित शिक्षा की ‘‘प्रयोगशाला’’ बनाया जाएगा ।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनपीए) 2020 की प्रशंसा करते हुये प्रधान ने कहा कि इस नीति में विशेष रूप से प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में पढ़ाई के महत्व पर जोर दिया है।
प्रधान (Pradhan) ने यहां दो दिवसीय पूर्वोत्तर शिक्षा सम्मेलन का उद्घााटन करने के बाद कहा कि एनईपी भारतीय ज्ञान प्रणालियों, क्षेत्रीय भाषाओं, कला और संस्कृति को एकीकृत करने वाली कारक है। यह पूर्व प्राथमिक स्तर से ही सीखने की क्षमता विकसित करने, छात्रों को 21वीं सदी के ज्ञान और कौशल से लैस करने और हमारे युवाओं को वैश्विक नागरिक बनने के लिए तैयार करने पर केंद्रित है।’’
मंत्री ने कहा कि केंद्र देश भर में शैक्षिक अवसरों में समानता सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है और इसके लिए ‘विशेष शिक्षा क्षेत्र’ बनाने का खाका तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र से बेहतर भाषाओं की विविधता कहीं नहीं है, जहां जनजातियों द्वारा लगभग 180 भाषाएं बोली जाती हैं। असम, भारत में मातृभाषा आधारित शिक्षा के लिए एक प्रयोगशाला बनने जा रहा है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि असम (Assam) के सबसे बड़े शहर गुवाहाटी में पूर्वोत्तर के साथ-साथ पूरे देश का शिक्षा केंद्र बनने की क्षमता है। प्रधान ने शिक्षा के लिए सकल घरेलू उत्पाद का छह प्रतिशत आवंटित करने के लिए असम सरकार (Assam Government) की सराहना की। उन्होंने विश्वास जताया कि यह सम्मेलन एनईपी के प्रमुख पहलुओं और क्षेत्र में इसके सफल कार्यान्वयन के लिए बनायी गयी रणनीतियों पर विचार करेगा।
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