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प्रतिबंधित संगठन युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (स्वतंत्र) के स्वयंभू कमांडर-इन-चीफ परेश बरुआ ने सरकार के साथ बातचीत करने का संकेत देते हुए कहा कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा केंद्र के साथ संभावित शांति वार्ता में मध्यस्थता करें तो उनके संगठन को कोई आपत्ति नहीं है।
उल्फा-आई प्रमुख ने कहा कि मौजूदा मुख्यमंत्री में शांति वार्ता को आगे बढ़ाने का साहस और ईमानदारी है। बरुआ ने असम के प्रमुख टेलीविजन चैनल से कहा, वह (सरमा) सक्षम हैं। वह हमारा इतिहास जानते हैं और हमने उनका साहस देखा है। अगर बातचीत शुरू नहीं हुई तो 42 साल पुरानी समस्या का समाधान कैसे हो सकता है, भले ही मुद्दा जटिल हो। असम के मुख्यमंत्री ने मंगलवार को नई दिल्ली में कहा कि उल्फा-आई के साथ बातचीत की अनौपचारिक प्रक्रिया चल रही है और अगले दो से तीन साल के भीतर समस्याओं का समाधान कर लिया जाएगा।
बातचीत को बेहद जरूरी बताते हुए बरुआ ने कहा कि अगर बातचीत शुरू नहीं हुई तो गतिरोध कैसे टूटेगा? उन्होंने कहा, बातचीत के लिए हमारे दरवाजे हमेशा खुले हैं। बरुआ ने कहा कि पिछले मुख्यमंत्रियों के गलत फैसलों के कारण उन्होंने हथियारों के लिए संघर्ष किया, उन्होंने उल्फा-आई मुद्दे पर सरमा के प्रयासों की सराहना की। बरुआ ने एक अज्ञात स्थान से कहा, दिवंगत तरुण गोगोई सहित कई पूर्व मुख्यमंत्रियों ने भी कदम उठाए थे, लेकिन लंबे समय तक जारी नहीं रहे। बाद में उनकी (गोगोई) सरकार ने हमें बांटो और राज करो की नीति अपनाकर हमें बांट दिया।
बरुआ ने कहा, हमें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री भारत सरकार को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने और बातचीत का रास्ता निकालने में सक्षम होंगे। जब से वह मुख्यमंत्री बने (10 मई को), सरमा ने एक अच्छी शुरुआत की है और हमें विश्वास है कि अच्छा निष्कर्ष निकलेगा। उल्फा-आई प्रमुख ने कहा कि समूह ने असम सरकार को महामारी से लडऩे में मदद करने के लिए एकतरफा युद्धविराम की घोषणा की थी।नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ असम के मुख्यमंत्री के कार्यों की सराहना करते हुए, बरुआ ने कहा कि प्रयासों से असम के लोगों, विशेषकर युवाओं को लाभ होगा। उल्फा-आई सुप्रीमो ने कहा, हम कोविड महामारी और नशीली दवाओं के खतरे दोनों से लडऩे के लिए सरकार के साथ सहयोग कर रहे हैं। सरमा पर असमिया लोगों के लिए बेहतर काम करने की जिम्मेदारी है।
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