केंद्र सरकार की ओर से देश के कुछ एयरपोर्ट्स के रखरखाव को अडाणी समूह को सौंपे जाने के फैसले के खिलाफ अब तक कई राज्यों में आवाज उठ चुकी है। इनमें नया नाम असम का जुड़ा है, जहां असम जातीय परिषद (AJP) संगठन ने एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) को इस सिलसिले में एक ज्ञापन सौंपा है। एजेपी ने इस ज्ञापन के जरिए केंद्र सरकार के गुवाहाटी एयरपोर्ट समेत अन्य एयरपोर्ट्स को अडाणी ग्रुप को सौंपे जाने के फैसले को एकतरफा और तानाशाही करार देते हुए इस पर नाराजगी जताई।

एजेपी के महासचिव जगदीश भुयन ने ज्ञापन के जरिए कहा कि गुवाहाटी एयरपोर्ट का नाम एक लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी, अविभाजित असम के पहले मुख्यमंत्री और महात्मा गांधी के एक करीबी नेता के नाम पर रखा गया। वे पूर्वोत्तर के सबसे सम्मानित और चर्चित हस्ती हैं, जिन्होंने न सिर्फ महात्मा गांधी के साथ आजादी की लड़ाई लड़ी, बल्कि जब असम को पाकिस्तान में शामिल करने का दबाव था, तब भारत के साथ रहने के लिए असम के अधिकारों की लड़ाई भी लड़ी।

भुयन ने कहा कि शायद यह बताना ही काफी है कि भारत रत्न स्वर्गीय गोपीनाथ बोर्दोलोई का नाम असमिया गर्व और पहचान से जुड़ा है। हम कभी भी अपनी पहचान पर हमला और असमिया हस्ती भारत रत्न गोपीनाथ बोर्दोलोई के चमकते नाम के साथ असम्मान बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि यह हमारे ध्यान में लाया गया है कि अडाणी ग्रुप को अगले 50 साल के लिए जो एयरपोर्ट लीज पर दिए गए हैं, उनमें जयपुर, लखनऊ, मुंबई, अहमदाबाद, त्रिवेंद्रम, बेंगलुरु और गुवाहाटी शामिल हैं। अडाणी ग्रुप ने इनमें से पांच का नियंत्रण हासिल भी कर लिया है।

भुयन ने आरोप लगाया कि अडाणी ग्रुप ने इन एयरपोर्ट्स पर सेवाओं की कीमतें भी दस गुना बढ़ा दी हैं, जिससे पहले से ही गिरती अर्थव्यवस्था और वित्तीय संसाधनों की कमी से जूझ यात्रियों की परेशानी और बढ़ी है। उन्होंने ज्ञापन में लिखा- “हम अडाणी ग्रुप और भारत सरकार को गुवाहाटी एयरपोर्ट के प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ चेतावनी दे रहे हैं। हम असमिया पहचान और अधिकार के साथ खिलवाड़ करने के लिए इसकी इजाजत बिल्कुल नहीं दे सकते। अगर निजीकरण का यह फैसला वापस नहीं हुआ तो हमें बड़ा लोकतांत्रिक प्रदर्शन जारी रखने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।”