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असम (Assam) के सिलचर में बराक डेमोक्रेटिक यूबा फ्रंट (Barak Democratic Yuba Front) के संदिग्ध कार्यकर्ताओं द्वारा असमिया भाषा में लिखे गए सरकार के एक होर्डिंग पर कथित तौर पर काली स्याही पोत दी है। बता दें कि BDYF असम की बराक घाटी में असमिया भाषा (Assamese language) के बजाय बंगाली भाषा (Bengali language) के उपयोग की मांग कर रहा है।
सोशल मीडिया में वायरल हो रही तस्वीरों से पता चलता है कि युवा संगठन ने "बांग्ला लिखो (Bangla Likho)" (बंगाली में लिखें) और उसके नीचे दो संगठनों के नाम लिखे हैं। यह होर्डिंग सिलचर रेलवे स्टेशन के सामने लगा दिया गया था। BDYF और ऑल बंगाली स्टूडेंट्स यूथ ऑर्गनाइजेशन (ABSYO) ने रविवार को होर्डिंग के पास कथित तौर पर विरोध कार्यक्रम को अंजाम दिया था।
असमिया भाषा पर कालिख पोतने के कृत्य की समाज के विभिन्न तबकों से तीखी आलोचना हुई है। इस बीच, ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (AASU) ने इस घटना को 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया है, यह कहते हुए कि असम में ही असमिया भाषा (Assamese language) का अपमान किया गया है।
असम राजभाषा अधिनियम, 1960 ने असमिया को राज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया, हालांकि इसमें राज्य की बंगाली-बहुमत बराक घाटी में सभी प्रशासनिक और आधिकारिक उद्देश्यों के लिए बंगाली के उपयोग के प्रावधान शामिल थे, जिसमें कछार, करीमगंज और हैलाकांडी शामिल थे। जिले
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