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देश में चल रही कोरोना वैक्सीनेशन ड्राइव के बीच असम सरकार ने अहम पहल की है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के चलाए गए स्पेशन वैक्सीनेशन प्रोग्राम में शुक्रवार को गुवाहटी में 40 ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों को वैक्सीन लगाई गई। तृतीय निवास (थर्ड जेंडर के शेल्टर होम) के सदस्यों के लिए वैक्सीनेशन कराया गया। असम के ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड की एसोसिएट वाइस चेयरमैन स्वाति बिदान बरुआ ने कहा कि हमारे समुदाय के सदस्य सड़कों पर भीख मांगते हैं, ऐसे में उनमें संक्रमण का खतरा भी ज्यादा है।
उन्होंने कहा कि कोई अलग कोविड सेंटर हमारे लिए नहीं है, ऐसे में वैक्सीनेशन ही संक्रमण को हराने का एकमात्र उपाय है। मैंने स्वास्थ्य विभाग से संपर्क किया, जिसके बाद उन्होंने कहा कि उन्हें हमारी मदद करके खुशी होगी। 13 मई को ही हमने स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशालय से संपर्क किया था और 14 मई को ही वैक्सीनेशन करा दिया गया।
आश्रय गृह में 125 ट्रांसजेंडर रहते हैं और उनमें से 40 को पहले दिन टीका लगाया गया। दस्तावेज और पहचान प्रमाण कई लोगों के लिए परेशानी थी, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि जल्द ही इसे हल कर लिया जाएगा। दूसरी ड्राइव अगले हफ्ते चलाई जाएगी, जहां ज्यादा से ज्यादा लोगों के वैक्सीनेशन की उम्मीद है। 2011 की जनगणना के मुताबिक असम में 11374 ट्रांसजेंडर रहते हैं। बरुआ कहते हैं कि रोम एक दिन में नहीं बना था। मुझे उम्मीद है कि जल्द ही हमारे सभी सदस्यों को वैक्सीन लग जाएगी। मुझे इस बात की खुशी है कि ट्रांसजेंडर्स के वैक्सीनेशन की बात आती है तो असम ने देश को रास्ता दिखाने की कोशिश की है, क्योंकि समुदाय अक्सर उपेक्षा का शिकार हो जाता है।
ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड ने यह सुनिश्चित करने के लिए कैंपेन शुरू की है कि समुदाय के सदस्य मास्क पहनें, ग्लब्स के साथ ही सड़कों पर रहते हुए कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें। देश में कोरोना की दूसरी लहर में कोई भी ट्रांसजेंडर कोरोना पॉजिटिव नहीं है। पिछले साल बोंगाईगांव में एक सदस्य कोरोना पॉजिटिव पाया गया था, जिसने ठीक होने के बाद प्लाज्मा भी दान किया था। हाल ही में राज्य के हाईकोर्ट ने एक आदेश में असम सरकार को गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (जीएमसीएच) में ट्रांसजेंडर्स के लिए एक अलग विंग बनाने का निर्देश दिया।
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