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असम के सिलचर जिले में एक “आपत्तिजनक लेख” (objectionable article) को लेकर देशद्रोह के तहत दर्ज केस (case registered under sedition) में पत्रकार अनिर्बान रॉय चौधरी (Journalist Anirban Roy Chowdhury) को रिहा कर दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, करीब एक घंटे की पूछताछ के बाद पत्रकार को व्यक्तिगत मुचलका जमा करने पर छोड़ा गया। अनिर्बान के खिलाफ एक बिजनेसमैन शांतनु सूत्रधर की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए (दो समुदायों के बीच शत्रुता फैलाना) और धारा 124-ए (देशद्रोह) और अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया।
अनिर्बान कछार जिले में ‘बराक बुलेटिन’ नाम से एक न्यूज पोर्टल चलाते हैं। उन्होंने अपने लेख में असम भाषा संरक्षण (संशोधन) कानून 1961 के संदर्भ में सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों की भूमिका पर सवाल उठाया था। रिहा होने के बाद चौधरी ने कहा कि पुलिस उनसे बार-बार पूछ रही थी कि उन्होंने वो लेख क्यों लिखा। चौधरी ने बताया कि पुलिस अधिकारियों ने कहा कि मैं एफआईआर के खिलाफ कोर्ट में अपील कर सकता हूं।
उन्होंने कहा, “पुलिस ने मुझे बताने को कहा कि मैंने वो लेख क्यों लिखा, जिससे कई वर्गों की भावनाएं आहत हो सकती हैं। मैंने बताया कि मैं अपने लेख में लिखे हर एक शब्द पर कायम हूं और हम इसे बदलने नहीं जा रहे हैं। पुलिस अधिकारियों ने मुझे जांच में सहयोग करने को कहा है और मैं इस पर सहमत हूं। इसके बाद उन्होंने मुझे रिहा कर दिया।”
चौधरी ने रिहा होने के बाद अपने फेसबुक पर लिखा, “मैं अपने संपादकीय लेख पर कायम हूं और यह संविधान के अनुच्छेद-19(ए) के तहत दिए गए अधिकारों के तहत लिखे गए। देशद्रोह एक मजाक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे बार-बार साफ तौर पर कहा है। मैं जांच में सहयोग करूंगा। समर्थन के लिए देश मीडिया जगत के लोगों खासकर सिलचर के पत्रकारों का आभारी रहूंगा।”
इससे पहले असम की बराक घाटी के तीन जिलों के पत्रकारों ने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा को पत्र लिखकर केस वापस लेने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की थी ताकि मीडियाकर्मी स्वतंत्र रूप से काम कर सकें। लोकल मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने मामले में हस्तक्षेप भी किया।
हालांकि कछार जिले के पुलिस अधीक्षक (SP) रमनदीप कौर ने कहा कि यह सही नहीं है। उन्होंने कहा, “हमें असम के मुख्यमंत्री या किसी और की तरफ से कोई कॉल या मैसेज नहीं मिली। पूछताछ जांच का हिस्सा थी। पुलिस ने चौधरी को उसका पक्ष रखने के लिए बुलाया था। उसे पीआर बॉन्ड पर रिहा किया गया है और हम उन्हें जांच के लिए आगे भी बुला सकते हैं।”
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