असम विधानसभा चुनाव में इसबार कम से कम 5 ऐसी सीटें रही हैं, जहां नोटा (नन ऑफ द अबॉव) को मिले वोट ने 5 उम्मीदवारों को जीतने में मदद की है, वहीं 5 उम्मीदवारों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। चुनाव आयोग से आए परिणाम के मुताबिक असम की नाजिरा, बरहामपुर, बिजनी, दुधनोई और टेओक विधानसभा क्षेत्रों में जीत दर्ज करने वाले उम्मीदवारों की जीत का अंतर नोटा को मिले वोट से काफी कम है। यानी अगर नोटा का वोट चुनाव में हारने वाले वाले उम्मीदवारों को मिलता तो नतीजे पलटने की पूरी संभावना थी। मसलन, नाजिरा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार देबब्रत सैकिया ने भाजपा के उम्मीदवार मयूर बोरगोहेन को 683 मतों के अंतर से हराया है। यहां सैकिया को 52,387 वोट मिले हैं, जबकि बोरगोहेन ने 51,704 वोट हासिल किए। जबकि, यहां नोटा बटन पर 1,470 वोटरों ने बटन दबाया है। यह वोट जीत के अंतर से कहीं ज्यादा है।

इसी तरह बरहामपुर विधानसभा में भाजपा के जीतू गोस्वामी ने कांग्रेस के उम्मीदवार सुरेश बोरा को 751 वोट के अंतर हराया है। जबकि यहां नोटा के खाते में 1,291 वोट पड़े हैं। इसी तरह बिजनी में बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के उम्मीदवार कमलशिंग नारजारी बीजेपी के प्रत्याशी अजय कुमार रे से 1,003 वोटों के अंतर से हार गए हैं। यहां नोटा के खाते में 1,388 वोट गए हैं। टेओक में भी नोटा ने इसी तरह से हारने वाले का मन छोटा किया है। इस सीट पर असम गण परिषद के रेनुपोमा राजखोवा को कांग्रेस प्रत्याशी पल्लबी गोगोई पर 1,350 वोटों से जीत मिली है। लेकिन, इससे कहीं ज्यादा वोट यानी 1927 मत नोटा विकल्प पर पड़े हैं।

2021 के असम विधानसभा चुनाव में 2,19,578 वोटरों ने नोटा का विकल्प चुनाव है, जो कि कुल पड़े मतों का 1.14% है। यह वोट शेयर एनसीपी, एलजेपी, आरजेडी, सपा, जदयू और सीपीआई और सीपीआई एमएल (एल) जैसी पार्टियों को मिले साझा वोटों से भी ज्यादा है। राज्य में सबसे ज्यादा वोट भाजपा को मिले हैं जो कि 33.21 फीसदी है। वहीं एजीपी को 7.91 फीसदी, एआईयूडीएफ को 9.29 फीसदी और कांग्रेस को 29.67 फीसदी वोट मिले हैं। प्रदेश में बीजेपी को सबसे ज्यादा 60 और उसकी सहयोगी असम गण परिषद को 9 सीटें मिली हैं। वहीं कांग्रेस को 29 और उसकी सहयोगी बदरुद्दीन अजमल की ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट को 16 सीटें मिली हैं।