प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) ने अपने रुख में एक महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए पिछले 40 वर्ष में पहली बार असम में स्वतंत्रता दिवस के बहिष्कार का आह्वान नहीं किया है। 

संगठन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि पिछले 40 वर्ष में पहली बार उल्फा-आई ने स्वतंत्रता दिवस पर किसी भी बंद का बहिष्कार या आह्वान नहीं करने का फैसला किया है। लगभग पिछले दो दशकों से उग्रवादी संगठन ने स्वतंत्रता दिवस के आसपास कई विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम दिया। 

संगठन ने इस बार भले ही स्वतंत्रता दिवस समारोह का बहिष्कार करने का आह्वान नहीं किया लेकिन असम में यह समारोह मनाये जाने यह कहते हुए आपत्ति जतायी कि राज्य ‘औपनिवेशिक भारत का हिस्सा कभी नहीं’ था। उल्फा-आई ने कहा कि वह ‘ऐतिहासिक तथ्यों’ को सामने रखकर और संगठन के उद्देश्य के अनुरूप असम की संप्रभुता पर केंद्र सरकार के साथ चर्चा के लिए तैयार है। संगठन ने केंद्र सरकार से एक संवैधानिक संशोधन लाने की मांग की जिससे चर्चा का मार्ग प्रशस्त हो सके।