असम के स्वास्थ्य, वित्त और शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्व शर्मा ने कहा है कि उनकी सरकार राज्य में मुस्लिमों की विरासत पेश करने वाले मियां म्यूजियम के बनने की इजाजत नहीं देंगे। शर्मा के इस बयान के बाद विवाद की स्थिति पैदा हो गई है। दरअसल, कुछ समय पहले ही राज्य में भाजपा और उसके सहयोगियों की विधायी समिति ने ब्रह्मपुत्र के किनारे बसे मुस्लिमों की विरासत दिखाने के लिए म्यूजियम बनाने की सिफारिश की थी।

इस म्यूजियम में मूल रूप से ब्रह्मपुत्र के किनारे बसे बंगाल मूल के मुस्लिमों की प्रदर्शनीय वस्तुओं को रखा जाना था। जिस जगह बहुसंख्यक तौर पर मुस्लिम बसे हैं, उस जगह का नाम ही चार-चपोरी है। यहां रहने वाले मुस्लिमों को आम बोलचाल की भाषा में कई बार अनादरपूर्ण तरीके से असम में मियां कहा जाता है। हालांकि, कई और जिलों में भी ब्रह्मपुत्र के किनारे अन्य समुदाय के लोग रहते हैं।

बताया गया है कि 18 अक्टूबर को असम के बागबर विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक शरमन अली अहमद ने राज्य के संग्रहालय निदेशक को चिट्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने अपील की थी कि असम के ‘चार-चपोरी’ इलाके में रहने वाले लोगों की संस्कृति और विरासत दिखाने वाले म्यूजियम की स्थापना गुवाहाटी के श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र परिसर में की जाए। उन्होंने इसके लिए उन्होंने सरकारी कमेटी की सिफारिश का भी जिक्र किया था।

24 अक्टूबर को हेमंत बिस्व शर्मा ने अहमद की चिट्ठी को ट्वीट करते हुए कहा, “मेरी समझ में असम के चार अंचल में कोई अलग पहचान और संस्कृति नहीं है, क्योंकि वहां के ज्यादातर लोग बांग्लादेश के प्रवासी हैं। जाहिर तौर पर श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र असमी संस्कृति प्रतीक है और हम इसमें कोई विकृति नहीं आने देंगे। माफ कीजिएगा विधायक साहब।”

शर्मा के इस ट्वीट पर असम से कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने कहा था, “माफ कीजिएगा हेमंत जी। इन लोगों के पूर्वज तब के बंगाल से आए थे, जो कि अखंड भारत का अहम हिस्सा था। कृपया सिर्फ सत्ता हासिल करने के लिए इतिहास से छेड़छाड़ मत कीजिए।” हालांकि, असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने सोमवार को रिपोर्टरों से साफ किया कि कलाक्षेत्र श्रीमंत शंकरदेव के आदर्शों पर बना था और उनकी सरकार हमेशा पूरी निष्ठा के साथ उन्हीं आदर्शों को गहरा बनाए रखने की कोशिश करेगी।