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वामदलों के लिए अगले साल बंगाल और असम में होने वाले विधानसभा के चुनाव अग्निपरीक्षा की तरह साबित होगी। वामदलों के प्रमुख घटक दलों के बीच बिहार चुनाव के अनुभवों के आधार पर पश्चिम बंगाल, असम व अन्य प्रदेशों में होने वाले चुनावों में नई ऊर्जा के साथ भागीदारी की रणनीति बन रही है।
बिहार चुनाव में मिली सीटों से उत्साहित कम्युनिष्ट पार्टियों के बीच यह बात सामने आयी है कि बिहार की जीत से इन प्रदेशों में भी वामपंथ की प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी की है।
भाकपा-माले केंद्रीय कमेटी की दो दिवसीय बैठक के पहले दिन कई राज्यों से नेता पटना पहुंचे, जिसमें बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, दिल्ली, उत्तराखंड, कर्नाटक आदि प्रदेशों के माले के शीर्ष नेताओं ने भाग लिया।
बैठक में महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य के अलावा अन्य नेताओं ने अपनी बातों को रखा। बैठक के पहले सत्र में बिहार विधानसभा चुनाव की समीक्षा की गयी।
समीक्षा में यह बात सामने आयी है कि चुनाव में भाकपा-माले व वामपंथ की उपलब्धियों से न केवल बिहार में बल्कि पूरे देश में अच्छा संदेश गया है। हालांकि सत्ता परिवर्तन नहीं हो सका, लेकिन एक मजबूत विपक्ष विधानसभा में पहुंच गया है।
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