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नागरिकता संशोधन अधिनियम यानि CAA को लेकर भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा बांग्लादेश और पाकिस्तान के शरणार्थियों को जनवरी 2021 से नागरिकता देना शुरू करने की संभावना है। हालांकि असम समेत पूर्वोत्तर राज्यों में इस कानून का जमकर विरोध हो चुका है।
विजयवर्गीय ने उत्तर 24 परगना में पार्टी के 'आर नोय अन्याय' अभियान के मौके पर कहा कि पड़ोसी देशों से हमारे देश में आने वाले शरणार्थियों को नागरिकता देने के ईमानदार इरादे से सीएए पास किया है। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा पश्चिम बंगाल में बड़ी शरणार्थी आबादी को नागरिकता देने की इच्छुक है।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार पर शरणार्थियों के प्रति सहानुभूति नहीं रखने का आरोप लगाया। विजयवर्गीय की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ टीएमसी नेता और राज्य मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा कि भाजपा पश्चिम बंगाल के लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है।
फिरहाद हाकिम ने कहा कि नागरिकता से भाजपा का क्या मतलब है? अगर मातु नागरिक नहीं हैं, तो वे साल-दर-साल विधानसभा और संसदीय चुनावों में कैसे मतदान करते हैं? हकीम ने आगे कहा कि भाजपा को पश्चिम बंगाल के लोगों को बेवकूफ बनाना बंद करना चाहिए।
मूल रूप से बांग्लादेश मातुओं ने 1950 के दशक में पश्चिम बंगाल की ओर पलायन करना शुरू कर दिया था, ज्यादातर धार्मिक उत्पीड़न के कारण। मतुआ समुदाय, राज्य में इनकी 30 लाख आबादी के साथ, कम से कम चार लोकसभा सीटों और नदिया, उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों में 30-40 विधानसभा क्षेत्रों के परिणामों को प्रभावित करते हैं।
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