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AFSPA कुछ महीनों में समाप्त होने के बाद, असम प्रशासन राज्य के कुछ हिस्सों में विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम (AFSPA) के कार्यान्वयन पर पुनर्विचार करेगा। बता दें कि असम प्रशासन ने AFSPA के तहत राज्य के 'अशांत क्षेत्र' के पदनाम को पिछले साल 28 अगस्त से छह महीने के लिए बढ़ा दिया।
बता दें कि घोषणा में इस बात का कोई संकेत नहीं दिया कि राज्य में AFSPA को क्यों बढ़ाया जा रहा है। AFSPA नवंबर 1990 में असम में लागू किया गया था और तब से राज्य प्रशासन द्वारा हर छह महीने में इसका नवीनीकरण किया जाता है।Glad to have inaugurated a donation campaign as part of BJP's Ajiwan Sahyog Nidhi Abhiyan along with @BJP4Assam President Shri @Bhabesh_KalitaR.
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) January 1, 2022
The party and its karyakartas have always strived for development of the nation. I'm sure about success of this noble campaign. pic.twitter.com/l79MXqWNPF
मुख्यमंत्री हिमंता सरमा ने कहा कि "हम स्थिति के नवीनीकरण के समय इस पर फैसला लेंगे। कुछ जगहों को छोड़कर असम से सेना व्यावहारिक रूप से रवाना हो चुकी है। नतीजतन, राज्य प्रशासन अगली बार इस पर फिर से विचार करेगा।"केंद्र और राज्य प्रशासन दोनों के यह कहने के बावजूद कि समय के साथ राज्य की शांति और व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है, राज्य में AFSPA के बार-बार विस्तार की हर तरफ से निंदा की गई है।जानकारी दे दें कि असम, नागालैंड, मणिपुर (इंफाल नगर परिषद क्षेत्र को छोड़कर), अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग, लोंगडिंग और तिरप जिले, और असम की सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश में आठ पुलिस स्टेशनों के नियंत्रण वाले क्षेत्र सभी AFSPA के अंतर्गत आते हैं।
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