जालसाज (fraudster) मृदुपबन नियोग की जमानत गुवाहाटी उच्च न्यायालय (Gauhati High Court) ने खारिज कर दी। न्यायमूर्ति हितेश कुमार सरमा (Justice Hitesh Kumar Sarma) की अदालत ने सुनवाई के लिए आने के बाद निओग की जमानत याचिका खारिज कर दी।

जमानत याचिका का विरोध करते हुए अधिवक्ता माखन फुकन (Makhan Phukan) ने सरकार की ओर से अपना तर्क पेश किया। नियोग के खिलाफ विभिन्न थानों में कई मामले दर्ज हैं। उसके खिलाफ एक कार डीलर को 30 लाख रुपये ठगने के मामले में नगांव थाने में धोखाधड़ी का मामला (2328/21 धारा 406/420/170/171/506/507/34 IPC) दर्ज किया गया है।
निओग के आवास से जंगली जानवरों के कई अंग बरामद होने के बाद उनके खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत मामला भी दर्ज किया गया है। मृदुपबन नियोग (Mridupaban Neog) भारत सरकार के एक शीर्ष अधिकारी के रूप में फर्जी पहचान बनाकर अपने पीड़ितों को ठगता था।
इससे पहले की छापेमारी में पुलिस को एक पिस्तौल, 20 जिंदा राउंड, लाखों के सोने के जेवर, बड़ी मात्रा में विदेशी शराब, कई फर्जी दस्तावेज और विभिन्न सरकारी विभागों के स्टिकर मिले थे। सभी आरोपी वाहनों और यहां तक ​​कि उनके घर पर भी भारत सरकार के स्टिकर चिपकाए गए थे।