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दिसंबर 2019 में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान 12 दिन में कुल 1,026 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें से 11 को यूएपीए (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया। असम विधानसभा (Assam assembly) में सोमवार को यह जानकारी दी गई।
निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई (Independent MLA Akhil Gogoi) के सवाल का लिखित उत्तर देते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Assam Chief Minister Himanta Biswa Sarma) ने कहा कि 2019 में नौ से 20 दिसंबर तक कुल 88 पुलिसकर्मी और 20 नागरिक घायल हुए। फायरिंग की 25 घटनाएं हुईं जबकि लाठीचार्ज की 19 और 15 जगह आंसू गैस के गोले दागे गए। जिन 11 लोगों के खिलाफ यूएपीए के तहत मामले दर्ज हुए उनमें से छह के खिलाफ एनआइए जांच का आदेश दिया गया।
वहीं, असम सरकार ने सोमवार को कहा कि वह मणिपुर, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की तर्ज पर मॉब लिंचिंग के खिलाफ एक विधेयक पेश करने के प्रस्ताव पर चर्चा करेगी। मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए कानून लाने के मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए असम के संसदीय कार्य मंत्री पीयूष हजारिका ने विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार ने अभी तक इस बारे में नहीं सोचा है। उन्होंने कहा हालांकि हमने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कोई कानून नहीं बनाया है, हमें इसे रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए। ऐसी कई भीषण घटनाओं ने हमें झकझोर दिया है। हम अन्य राज्यों द्वारा लागू किए गए कदमों पर चर्चा करेंगे और उन पर विचार करेंगे।
हजारिका ने कहा कि अभी तक असम सरकार ने मणिपुर, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के मॉब लिंचिंग विरोधी कानूनों को नहीं देखा है। हमें अन्य राज्यों के कानूनों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने तहसीन पूनावाला मामले में फैसले में मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए दिशा-निर्देशों का एक सेट जारी किया था। इसमें यह भी कहा था कि मॉब लिंचिंग विरोधी कानून बनाने की गुंजाइश है। मंत्री ने पिछले कुछ वर्षों में असम में हुई मॉब लिंचिंग के कई मामलों का उल्लेख किया, जिन पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत फास्ट-ट्रैक अदालतों में मुकदमा चलाया जा रहा है।
29 नवंबर को जोरहाट में 28 वर्षीय ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) नेता को एक दुर्घटना पर गरमागरम बहस के बाद भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था। लोगों ने इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया, बल्कि अपने मोबाइल फोन पर घटना को फिल्माने में व्यस्त थे। शीतकालीन सत्र के पहले दिन सदन में यह मुद्दा उठाते हुए भाजपा विधायक मृणाल सैकिया ने कहा कि राज्य में पहले से ही डायन-शिकार के खिलाफ एक अधिनियम के बावजूद असम के विभिन्न स्थानों में डायन-शिकार और मॉब लिंचिंग की घटनाएं बेरोकटोक जारी हैं।
विस्तृत चर्चा की मांग करते हुए सैकिया ने सरकार से राज्य में सभी प्रकार की मॉब लिंचिंग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। असम सरकार ने 1 अक्टूबर 2018 को असम विच हंटिंग (निषेध, रोकथाम और संरक्षण) अधिनियम 2015 को अधिसूचित किया था, जिसमें डायन-शिकार से संबंधित हर अपराध को संज्ञेय, गैर-जमानती बना दिया गया था और इसमें अधिकतम कारावास का प्रावधान है।
राज्य सरकार ने विधानसभा में असम पशु संरक्षण अधिनियम 2021 को और कठोर बनाने के लिए एक संशोधन पेश किया। उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री चंद्र मोहन पाटोवरी ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सदन में विधेयक पेश किया।
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