कोरोना वायरस पूरी दुनिया करोड़ो लोगों की मौतें हुई है। अभी भी इसका सिलसिला जारी है। हाल ही में एक सर्वेक्षण किया गया है कि जिसमें बताया गया है कि पूर्वोत्तर भारत के असम और मेघालय सहित 14 राज्यों में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि विकलांगता के साथ 42.5% भारतीयों ने लॉकडाउन के दौरान कई मौते हुई है। इन मौतों का मुख्य कारण नियमित चिकित्सा देखभाल तक पहुंचने में कठिनाइयां है। बता दें कि यह अध्ययन हैदराबाद स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ (भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य फाउंडेशन की एक घटक इकाई) द्वारा सीबीएम इंडिया के सहयोग से किया गया है।


शोध के अनुसार पाया गया कि कोविड-19 महामारी ने स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका और विकलांग व्यक्तियों की सामाजिक भागीदारी पुनर्वास को प्रभावित किया है।  भारत में विकलांग व्यक्तियों पर कोरोना का प्रभाव के साथ महामारी और संबंधित प्रतिबंधों के कारण विकलांगता वाले व्यक्तियों की जीवन स्थितियों पर व्यवधान के स्तर को समझने के लिए किया गया था, और भविष्य की महामारी या आपात स्थिति के लिए साक्ष्य उत्पन्न किया गया था।


शोध जिसमें से 60% पुरुष और 40% महिलाएं थीं। उत्तरदाताओं में शारीरिक हानि के साथ 51.6% सहित विभिन्न दोष थे, दृश्य हानि के साथ 16.1%, बौद्धिक हानि के साथ 19% और भाषण और सुनवाई के लिए 9.2% थे। भारत के 14 राज्यों - छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, दिल्ली, उत्तराखंड, असम, मेघालय, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और महाराष्ट्र में आयोजित किया गया था। अध्ययन में बताया गया है कि लॉकडाउन के दौरान 58.2% विकलांगता दुखी थे।